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- पश्चिम बंगाल सीबीआई मामला; सुप्रीम कोर्ट | ममता बनर्जी बनाम मोदी सरकार
नई दिल्ली4 घंटे पहले
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16 नवंबर 2018 को पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में जांच या कार्रवाई के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति वापस ले ली।
बंगाल में कई केसों की सीबीआई जांच पर मुहर लगी ममता सरकार की अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बंगाल सरकार ने याचिका में कहा कि कई मामलों में सीबीआई जांच कर रही है, वह भी हमारी मंजूरी के बिना। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि बंगाल में एक भी केस केंद्र सरकार ने नहीं किया है। सी.बी.आई. ने केस रजिस्टर किये हैं।
इधर, बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हमने अपने राज्य में केसन की सीबीआई जांच को मंजूरी वापस ले ली है। इसके बावजूद एजेंसी कई केसन की जांच कर रही है।
बंगाल सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला देते हुए याचिका दायर की है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का ज़िक्र है। ऐसा कहा जाता है कि केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में होती है।
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बंगाल सरकार के फैसले पर एसजी तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप पेशेंट से कहा, ”संविधान का अनुच्छेद 131 सुप्रीम कोर्ट के मिले सबसे पवित्र अधिकार में से एक है। इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जिन केसन की बात बंगाल सरकार कर रही है, इसमें से एक भी केसर केंद्र ने पंजीकरण नहीं कराया।”
बंगाल ने 2018 में जनरल कंसेंट वापस ले लिया था
असल, राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की जांच के लिए राज्य सरकार से पूछताछ की जाती है। बंगाल सरकार ने 16 नवंबर 2018 को जनरल कंसेंट वापस ले लिया था। उस समय चितफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर मध्य प्रदेश जांच में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
सी.बी.आई. कैसे बनाये
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत सीबीआई द्वारा केवल केंद्र के खिलाफ धारा 3 के तहत अपराध की जांच शुरू की जा सकती है। राज्य में जांच पहले से शुरू हो गई है, राज्य सरकार के अधीन सेक्शन 6 को फिर से शुरू करना जरूरी है।
सीबीआई से जुड़े 4 तरह के केस हो सकते हैं
- केंद्र सरकार खुद सीबीआई जांच का आदेश दे।
- उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय सीबीआई को जांच के आदेश दे।
- राज्य सरकार केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की पुष्टि करे।
- किसी केस को लेकर पब्लिक की डिलीवरी हो। इस केस को भी सरकार ही तय करती है।
खाली में जांच के खिलाफ भी सर्वोच्च संदेश न्यायालय ऑस्ट्रिया ममता सरकार
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने मैसेजखाली केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सोमवार (29 अप्रैल) को सुनवाई हुई। कोर्ट सुप्रीमो ने सुनवाई के बाद मामले को जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। हालाँकि, न्यायमूर्ति बी आर गंवाई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सवाल किया कि निजी लोगों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने याचिका क्यों दायर की है। पढ़ें पूरी खबर…