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“बूंद बूंद के मिलन से, जल में गति आ जाये” सरिता बन सागर मिले, सागर बूंद समाये” – निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज

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बिम्ब और प्रतिबिम्ब में केवल यही अंतर होता है की बिम्ब प्रत्यक्ष और प्रतिबिम्ब परोक्ष होता है |

  • निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर महाराज

“कम बोलने से आपका कार्य संपन्न हो रहा है तो अधिक न बोला जाये लेकिन यदि ज्यादा बोलना आवश्यक हो तो अवश्य बोलना चाहिये |” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी तीर्थ से प्रातःकालीन धर्म सभा को सम्वोधित करते हुये व्यक्त किये |

उन्होंने कहा कि जैसे एक मां अपने बच्चों को समय – समय आवश्यकता अनुसार कभी कम कभी ज्यादा निर्देश दिया करती है उसी प्रकार आचार्य गुरूदेव अपने शिष्यों को कभी कम तो कभी ज्यादा तो कभी मौन रहकर के भी जब जैसी आवश्यकता हो कह दिया करते थे। मुनि श्री ने कहा कि सन् 1992 में जब हमारा चातुर्मास विदिशा मध्यप्रदेश में चल रहा था उस समय गुरुदेव की दीक्षा के पच्चीस वर्ष पूर्ण होकर रजत जयंति मनाई जा रही थी तो हमने भी कुछ सोचा और आचार्य श्री के प्रवचनों से उन सूत्रों को इकटठा करना शुरू किया।

उसके पश्चात जबलपुर मड़िया जी,बीनाबारह,रामटेक,चातुर्मास के पश्चात विधान हुआ और जब हम अमरकंटक पहुंचे और आचार्य श्री से निवेदन किया कि हमने आपके प्रवचनों के सूत्रों से संग्रह किया है | एक बार यदि आपकी नजर पड़ जाऐ तो ठीक रहेगा और इस संग्रह को आप कोई नाम दे दीजिये | गुरुदेव ने हमारी ओर देखा और कहा कि देख लो जैसा तुमको अच्छा लगे उसी में से निकाल लेना हम बड़े उत्साह के साथ आचार्य श्री के पास गये थे | आचार्य श्री ने जब कुछ नहीं कहा तो मन में निराशा तो हुई लेकिन दोपहर में आचार्य गुरूदेव ने बुलाया और कहा कि सुवह जो निवेदन किया गया था सामायिक के समय एक दोहा बना है उसमें से यदि तुम निकाल सको तो निकाल लेना तो आचार्य श्री ने दोहा सुनाते हुये कहा “बूंद बूंद के मिलन से, जल में गति आ जाये” सरिता बन सागर मिले, सागर बूंद समाये” इस प्रकार आचार्य श्री के प्रवचनों का सार “संग्रह सागर बूंद समाये” की तैयारी विदिशा से प्रारंभ हुआ उसे हमने पांच खंडों में शुरु हुआ था | मुनि श्री ने कहा कि आचार्य श्री हमेशा अपने शिष्यों की जिज्ञासाओं की पूर्ती कर दिया करते थे।

निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने कहा की आचार्य श्री विद्यासागर जी और आचार्य श्री समयसागर जी में बहुत सारी समानतायें नज़र आती है जैसे दोनों की चाल एक जैसी है, दोनों की मुस्कान एक जैसी है, दोनों के चेहरे एक जैसे है, दोनों मे गंभीरता एक जैसी है और दोनों के मूल गुण भी छत्तीस है |

मुझे आचार्य श्री विद्यासागर जी ने दीक्षा दी और शिक्षा आचार्य श्री समयसागर जी ने दी |

ऐसे बहुत से मुनि और आर्यिका हैं जिन्हें दीक्षा तो आचार्य श्री विद्यासागर जी ने दी लेकिन शिक्षा के लिए वे आचार्य श्री समयसागर जी के पास ही भेजते थे |

जैसा और जितना आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते कहते थे आचार्य श्री समयसागर जी वैसा और उतना ही पढ़ाते थे|

आज हम प्रत्यक्ष में भगवान के दर्शन नहीं कर सकते इसलिए जिन बिम्ब में परोक्ष रूप से करते हैं |

बिम्ब और प्रतिबिम्ब में केवल यही अंतर होता है की बिम्ब प्रत्यक्ष और प्रतिबिम्ब परोक्ष होता है |

आज आचार्य श्री हमारे बिच नहीं है लेकिन उनकी प्रतिकृति विद्या निधि आचार्य श्री समयसागर जी हमारे पास है |

उनकी गंभीरता, तत्व ज्ञान, पढ़ाने की शैली सब कुछ आचार्य श्री के समान ही लगती है |

चंद्रगिरी पर पंच ऋषीराज का पडगाहन एक साथ प्रतिभास्थली की बहनों को मिला यह सौभाग्य चंद्रगिरी तीर्थ पर निर्यापक मुनि श्री समतासागर जी, मुनि श्री पवित्र सागर जी, निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी, मुनि श्री आगमसागर जी एवं मुनि श्री पुनीतसागर जी महाराज की आहारचर्या एकसाथ संपन्न हुई पड़गाहन को जब पांचों मुनिराज अंजुली बांधकर निकले तो यह दृश्य बहुत ही अनूठा था|

छत्तीसगढ़ की धरती पर धरती के देवताओं की आहारचर्या प्रतिभास्थली पर संपन्न हुई|प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं निशांत जैन ने बताया चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रथम समाधि दिवस तिथी माघ सुदी९ दिनांक 6 फरवरी 2025 को गृह मंत्री भारत सरकार के माननीय अमित शाह जी द्वारा जो स्मारक सिक्का जो कि चांदी तथा अन्य धातुओं के साथ बना हुआ है उसका विमोचन किया गया था।

जिसकी बुकिंग चालू हो गई है। जो भी ये सिक्का प्राप्त करना चाहते है कृपया विद्यायतन के विनोद बडजात्या (अध्यक्ष)- 9425252525, मनीष जैन- (महामंत्री) 9425531401 से संपर्क कर प्राप्त कर सकते है |

आचार्य गुरुदेव की प्रभावना के दृष्टिकोण से संपूर्ण भारत में जहाँ – जहाँ स्मृति स्वरुप भारत सरकार के ये सिक्के चाहिये है वह सामुहिक रुप से बैठक आयोजित कर जितने भी सिक्के चाहिये उतनी राशी को बैंक खाते में जमा कर उसका स्क्रीन शॉट भेज देंगे तो आपको डाक द्वारा भेज दिया जाऐगा एक या दो सिक्का लेंने वाले का डाकखर्च अलग लगेगा या डिलेवरी डोंगरगढ़ से लेना होगी।

इस अवसर पर चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन, कोषाध्यक्ष सुभाष चंद जैन, महामंत्री निर्मल जैन, मंत्री चंद्रकांत जैन,रीतेश जैन डब्बू,अनिल जैन, जय कुमार जैन, यतिष जैन, सुरेश जैन, अंकित जैन, राजकुमार मोदी , चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या रायपुर, महामंत्री मनीष जैन , निखिल जैन, सोपान जैन, अमित जैन, नरेश जैन जुग्गु भैया, सप्रेम जैन, सहित समस्त पदाधिकारियों उपस्थित थे। उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है|

Nemish Agrawal
Nemish Agrawalhttps://tv1indianews.in
Tv Journalist Media | Editor | Writer | Digital Creator | Travel Vlogger | Web-app Developer | IT Cell’s | Social Work | Public Relations Contact no: 8602764448

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