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Tesla Success Story; Elon Musk – Mumbai Showroom | Market Cap | टेस्ला की भारत में एंट्री कल: जिसने कंपनी बनाई उसे ही मस्क ने निकाला; 2008 में टेस्ला डूबने वाली थी, तो नींद में चिल्लाते थे इलॉन

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मुंबई58 मिनट पहले

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इलॉन मस्क आज टेस्ला का सबसे बड़ा चेहरा हैं, लेकिन वो इसके फाउंडर नहीं थे। 2004 में मस्क ने टेस्ला में 65 लाख डॉलर का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। - Dainik Bhaskar

इलॉन मस्क आज टेस्ला का सबसे बड़ा चेहरा हैं, लेकिन वो इसके फाउंडर नहीं थे। 2004 में मस्क ने टेस्ला में 65 लाख डॉलर का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने।

साल 2008 की बात है। दुनियाभर की इकोनॉमी संकट में थी। लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक से लेकर जनरल मोटर्स जैसी कंपनियां डूब रही थीं। इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला शुरुआती दौर में थी। मंदी के कारण हालत इतनी खराब थी कि मस्क ने पहली कार के लिए ग्राहकों से जो बुकिंग अमाउंट लिया था उसे भी खर्च कर दिया। एम्प्लॉइज को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं थे।

अपने खर्चों को कवर करने के लिए उन्होंने निजी तौर पर रकम उधार ली थी। वे उस समय बेहद तनाव में रहने लगे थे। उनकी गर्लफ्रेंड रही तालुलाह रिले ने इस वाकये को याद करते हुए कहा था- ‘वह खुद से बात करने लगे थे, अपने हाथों को फैलाकर जोर-जोर से चिल्लाते थे। कई बार नींद में भी चिल्लाते थे और हाथ पटकते थे। लगता था कि उन्हें कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है।’

आज टेस्ला मार्केट कैप में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी है। ये कंपनी अब भारत में भी अपना शोरूम खोलने जा रही है। 15 जुलाई को मुंबई में इसकी शुरुआत होगी। ऐसे में यहां हम डूबने की कगार पर खड़ी टेस्ला की कामयाब होने की कहानी 6 चैप्टर में बता रहे हैं…

कंपनी की मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। ये कार भारत में भी लॉन्च होने वाली है।

कंपनी की मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। ये कार भारत में भी लॉन्च होने वाली है।

चैप्टर-1

टेस्ला की शुरुआत

टेस्ला की कहानी शुरू होती है दो इंजीनियर्स, मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग से। इन्होंने 2003 में टेस्ला मोटर्स की नींव रखी। बाद में इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल भी शुरुआती टीम में शामिल हुए।

एबरहार्ड और टारपेनिंग 1980 के दशक में मिले थे। वे पहले एकसाथ न्यूवोमीडिया नाम की कंपनी में काम कर चुके थे। यहां उन्होंने रॉकेट ई-बुक रीडर बनाया था।

मार्टिन को स्पोर्ट्स कार बहुत पसंद थी और एक ऐसी कार चाहते थे जो तेज हो और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचाए। उस वक्त मिडिल ईस्ट में युद्ध चल रहा था। ग्लोबल वॉर्मिंग की चिंता बढ़ रही थी। मार्टिन को लगा कि पेट्रोल गाड़ियां खरीदना सही नहीं। यहीं से टेस्ला का ख्याल आया।

मार्टिन और मार्क ने देखा कि ई-बुक रीडर में उन्होंने जो लीथियम-आयन बैटरी इस्तेमाल की थी वो कारों के लिए भी क्रांतिकारी हो सकती है। उन्होंने AC प्रॉपल्शन नाम की एक छोटी कंपनी के साथ मिलकर एक प्रोटोटाइप बनाया, जो बाद में टेस्ला रोडस्टर का आधार बना।

हालांकि, गाड़ी बनाना आसान नहीं था। उन्हें ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का कोई अनुभव नहीं था और सप्लायर्स को उनके साथ काम करने में रिस्क दिखता था। फिर भी, उन्होंने लोटस जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की और 1 जुलाई, 2003 को टेस्ला मोटर्स को आधिकारिक तौर पर शुरू किया।

दो इंजीनियर्स, मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने 2003 में टेस्ला मोटर्स की नींव रखी।

दो इंजीनियर्स, मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने 2003 में टेस्ला मोटर्स की नींव रखी।

चैप्टर-2

इलॉन मस्क की एंट्री

इलॉन मस्क आज टेस्ला का सबसे बड़ा चेहरा हैं, लेकिन वो इसके फाउंडर नहीं थे। 2004 में मस्क ने टेस्ला में 65 लाख डॉलर का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। आज के हिसाब से रुपए में ये रकम करीब 56 करोड़ रुपए होती है। 10 लाख डॉलर अन्य निवेशकों ने भी लगाए थे।

2003-04 में जब टेस्ला मोटर्स की शुरुआत हुई, उस वक्त इलॉन मस्क स्पेसएक्स पर काम कर रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात जेबी स्ट्रॉबेल से हुई। स्ट्रॉबेल एक युवा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के फैन थे। स्ट्रॉबेल ने अपने गैरेज में खुद एक पोर्श को इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदला था।

स्ट्रॉबेल ने मस्क को AC प्रॉपल्शन नाम की एक छोटी कंपनी के बारे में बताया, जो इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाती थी। दोनों ने AC प्रॉपल्शन की tZero गाड़ी का टेस्ट ड्राइव लिया, जिसमें लीथियम-आयन बैटरी थी।

मस्क को ये गाड़ी इतनी पसंद आई कि वो इसे कॉमर्शियल करने के लिए AC प्रॉपल्शन के CEO टॉम गेज को मनाने लगे, लेकिन गेज इसके लिए तैयार नहीं हुए। फिर गेज ने मस्क को मार्टिन से मिलवाया, जो टारपेनिंग और इयान राइट के साथ मिलकर टेस्ला मोटर्स शुरू कर चुके थे। यहीं से मस्क की एंट्री टेस्ला में हुई।

इलॉन मस्क ने 2004 में टेस्ला में 6.35 मिलियन डॉलर लगाए। इसके बाद वे कंपनी के चेयरमैन बन गए।

इलॉन मस्क ने 2004 में टेस्ला में 6.35 मिलियन डॉलर लगाए। इसके बाद वे कंपनी के चेयरमैन बन गए।

चैप्टर-3

पहली कार रोडस्टर

टेस्ला की पहली गाड़ी थी रोडस्टर, जिसे लोटस एलिस के चेसिस पर बनाया जाना था। कंपनी का प्लान था कि लोटस के मौजूदा पार्ट्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करके लागत कम रखी जाए। लेकिन मस्क को ये मंजूर नहीं था। वो चाहते थे कि रोडस्टर इतनी खूबसूरत और पावरफुल हो कि लोग इसे देखकर दंग रह जाएं।

मस्क हर दो हफ्ते में लॉस एंजिल्स से सिलिकन वैली आते, डिजाइन मीटिंग्स में हिस्सा लेते और गाड़ी के मॉडल्स की जांच करते। उनकी सलाह सिर्फ सुझाव नहीं थी। वो चाहते थे कि हर बदलाव लागू हो।

उन्होंने 5 बड़े बदलाव करवाए:

1. दरवाजे का डिजाइन: मस्क को रोडस्टर का दरवाजा बहुत छोटा लगा। उन्होंने दरवाजे का फ्रेम तीन इंच नीचे करवाया। इससे चेसिस का डिजाइन बदल गया और 20 लाख डॉलर की अतिरिक्त लागत आई।

2. सीट्स: मस्क को लोटस की सीट्स तंग लगीं। वो चाहते थे कि सीट्स चौड़ी हों। महिलाओं को इसमें बैठने में आसानी हो। एबरहार्ड को ये बदलाव बेकार लगा, क्योंकि इससे टेस्टिंग दोबारा करनी पड़ी।

3. हेडलाइट्स: मस्क को लोटस की हेडलाइट्स “बग-आइड” (कीड़े जैसी) लगीं। उन्होंने कवर वाली हेडलाइट्स लगवाने का फैसला किया, जिससे 5 लाख डॉलर की लागत बढ़ी।

4. कार्बन फाइबर बॉडी: मस्क ने लोटस के फाइबरग्लास की जगह मजबूत और हल्के कार्बन फाइबर का इस्तेमाल करवाया। इससे गाड़ी की पेंटिंग महंगी हो गई, लेकिन वो ज्यादा ठोस और हल्की बनी।

5. इलेक्ट्रिक डोर हैंडल्स: एबरहार्ड साधारण डोर हैंडल्स से खुश थे, लेकिन मस्क ने इलेक्ट्रिक टच-सेंसिटिव हैंडल्स लगवाए, जो टेस्ला की “कूल” इमेज का हिस्सा बने।

टेस्ला ने ब्रिटिश कंपनी लोटस कार्स के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो स्पोर्ट्स और रेसिंग कार बनाती है।

टेस्ला ने ब्रिटिश कंपनी लोटस कार्स के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो स्पोर्ट्स और रेसिंग कार बनाती है।

इन बदलावों की वजह से रोडस्टर की लागत और प्रोडक्शन टाइमलाइन बढ़ गई। लोटस के मौजूदा सप्लायर्स का फायदा नहीं मिल सका और टेस्ला को सैकड़ों नए पार्ट्स के लिए सप्लायर्स ढूंढने पड़े।

  • जुलाई 2006 में टेस्ला ने सांता मोनिका एयरपोर्ट पर रोडस्टर का प्रोटोटाइप लॉन्च किया। इवेंट में कैलिफोर्निया के गवर्नर और एक्टर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर, जॉर्ज क्लूनी जैसे सितारे आए। स्ट्रॉबेल ने श्वार्जनेगर को टेस्ट ड्राइव करवाई। इवेंट को खूब कवरेज मिला, लेकिन इवेंट में सारा क्रेडिट एबरहार्ड को मिला।
जुलाई 2006 में टेस्ला ने सांता मोनिका एयरपोर्ट पर रोडस्टर का प्रोटोटाइप लॉन्च किया। इवेंट में कैलिफोर्निया के गवर्नर और एक्टर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर को टेस्ट ड्राइव करवाई थी।

जुलाई 2006 में टेस्ला ने सांता मोनिका एयरपोर्ट पर रोडस्टर का प्रोटोटाइप लॉन्च किया। इवेंट में कैलिफोर्निया के गवर्नर और एक्टर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर को टेस्ट ड्राइव करवाई थी।

  • मस्क ने टेस्ला की वेबसाइट पर एक नोट लिखा- इसमें उन्होंने कहा कि टेस्ला का मकसद हाइड्रोकार्बन अर्थव्यवस्था को सोलर इलेक्ट्रिक में बदलना है। रोडस्टर को हाई-एंड मार्केट में लॉन्च करके टेस्ला सस्ती गाड़ियों की ओर बढ़ेगी। इस प्लान ने टेस्ला की दिशा को साफ किया।
  • रोडस्टर के प्रोटोटाइप ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की पुरानी छवि तोड़ दी। ये गाड़ी 4 सेकंड में 0 से 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती थी। श्वार्जनेगर और क्लूनी जैसे सितारों ने इसके लिए 1 लाख डॉलर का डिपॉजिट दिया। स्टीव जॉब्स ने भी रोडस्टर की तारीफ की।

चैप्टर-4

टेस्ला पर संकट

2008 में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में थी। लेहमन ब्रदर्स जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाएं दिवालिया होने लगीं। इस संकट ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी बुरी तरह प्रभावित किया। जनरल मोटर्स और क्रिसलर जैसे दिग्गज ऑटोमेकर्स को सरकारी बेलआउट की जरूरत पड़ी। टेस्ला उस समय एक छोटी स्टार्टअप कंपनी थी। इस माहौल में उसके लिए फंडिंग जुटाना लगभग असंभव हो गया।

2008 की पहली छमाही में उन्होंने टेस्ला को बचाने के लिए ग्राहकों के जमा किए गए डिपॉजिट्स का इस्तेमाल कर लिया। कुछ टेस्ला अधिकारियों और बोर्ड मेंबर्स को लगता था कि ये पैसा एस्क्रो में रखना चाहिए था, न कि उसे खर्च करना चाहिए। हालांकि, मस्क ने कहा, “या तो ऐसा करें, वरना हम खत्म हो जाएंगे।”

सितंबर 2008 तक हालात और बिगड़ गए। मस्क रात-रातभर बड़बड़ाते, हाथ-पैर हिलाते और चीखते थे। उनकी गर्लफ्रेंड तालुलाह कहती हैं, मुझे लगता था वो हार्ट अटैक से मर जाएंगे। कभी-कभी वो बाथरूम जाते और उल्टियां करते। तालुलाह उनका सिर पकड़कर खड़ी रहती थीं।

वो दिन-रात काम करते थे और हर बार किसी चमत्कार की उम्मीद में जूझते थे। 2008 के अंत तक सबको लगने लगा कि मस्क को स्पेसएक्स और टेस्ला में से एक को चुनना पड़ेगा। अगर वो सारी ताकत एक पर लगाते, तो कम से कम वो बच सकती थी। अगर दोनों को बांटते, तो दोनों डूब सकती थीं।

एक दिन उनके दोस्त मार्क जुन्कोसा ने स्पेसएक्स के ऑफिस में कहा, “भाई, इन्हीं दो में से एक को छोड़ दे। अगर स्पेसएक्स दिल के करीब है, तो टेस्ला को भूल जाओ। मस्क ने कहा- नहीं, अगर मैं टेस्ला छोड़ दूंगा, तो ये साबित हो जाएगा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां काम नहीं करतीं, और सस्टेनेबल एनर्जी का सपना अधूरा रह जाएगा। स्पेसएक्स भी नहीं छोड़ सकता वर्ना हम कभी मल्टी-प्लैनेट्री स्पीशीज नहीं बन पाएंगे।

2008 के आखिर में मस्क ने 2 करोड़ डॉलर के इक्विटी फंडिंग राउंड के लिए अपने एग्जिस्टिंग इन्वेस्टर्स को लिस्ट किया। इनमें से एक इन्वेस्टर वैंटेज पॉइंट कैपिटल इसके लिए तैयार नहीं था। काफी मुश्किलों के बाद वैंटेज पॉइंट भी इस प्लान के लिए मान गया और टेस्ला बच गई।

टेस्ला की पहली रोडस्टर कार इलॉन मस्क को डिलीवर की गई थी।

टेस्ला की पहली रोडस्टर कार इलॉन मस्क को डिलीवर की गई थी।

टेस्ला ने 29 जून 2010 को नैस्डैक पर 17 डॉलर प्रति शेयर के साथ शुरुआत की थी। आज शेयर की कीमत 300 डॉलर के करीब है। कंपनी ने IPO से 226 मिलियन डॉलर जुटाए थे।

टेस्ला ने 29 जून 2010 को नैस्डैक पर 17 डॉलर प्रति शेयर के साथ शुरुआत की थी। आज शेयर की कीमत 300 डॉलर के करीब है। कंपनी ने IPO से 226 मिलियन डॉलर जुटाए थे।

चैप्टर-5

ICE व्हीकल्स के बीच कामयाबी

2008 में टेस्ला ने पहली हाई-परफॉर्मेंस इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार रोडस्टर लॉन्च की। ये पोर्शे जैसे ICE स्पोर्ट्स कार्स से टक्कर लेती थी। इससे लोगों का ध्यान EVs की ओर गया।

फोर्ड, GM जैसी कंपनियों ने EVs को गंभीरता से नहीं लिया। जब टेस्ला रोडस्टर और मॉडल S लाई, तब तक ये कंपनियां हाइब्रिड्स पर फोकस कर रही थीं। टेस्ला ने लीथियम-आयन बैटरी को बेहतर बनाया।

टेस्ला ने सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी (ऑटोपायलट) शुरू की, जो ICE व्हीकल्स में नहीं थी। ये फीचर ग्राहकों को आकर्षित करने का बड़ा कारण बना। इसके अलावा टेस्ला ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया।

मस्क की सोशल मीडिया पर मौजूदगी और विवादास्पद बयानों ने फ्री पब्लिसिटी दिलाई। रोडस्टर के लॉन्च के बाद हॉलीवुड सेलिब्रिटीज अर्नोल्ड श्वार्जनेगर, जॉर्ज क्लूनी ने इसे खरीदा। इससे ब्रांड को बूस्ट मिला।

टेस्ला की सबसे बड़ी कमाई इलेक्ट्रिक गाड़ियों (मॉडल 3, मॉडल Y, मॉडल S, मॉडल X, साइबरट्रक, टेस्ला सेमी) की बिक्री से होती है। 2024 में टेस्ला ने 17.8 लाख गाड़ियां डिलीवर कीं और ऑटोमोटिव सेल्स से 81.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 6.90 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई।

टेस्ला को जीरो-एमिशन व्हीकल्स (ZEV) बनाने के लिए रेगुलेटरी क्रेडिट्स भी मिलते हैं, जिन्हें यह उन ऑटोमेकर्स को बेचती है जो उत्सर्जन नियमों को पूरा नहीं कर पाते। 2024 में टेस्ला ने इन क्रेडिट्स से 2.76 बिलियन डॉलर (करीब 0.24 लाख करोड़ रुपए) कमाए, जो 2023 की तुलना में 54% ज्यादा हैं। 2014 से अब तक टेस्ला ने इनसे 11.4 बिलियन डॉलर (0.98 लाख करोड़ रुपए) कमाए हैं।

चैप्टर-6

असली फाउंडर कौन

टेस्ला की स्थापना 1 जुलाई, 2003 को हुई थी। इसके शुरुआती फाउंडर्स मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग थे। बाद में इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल भी शुरुआती टीम में शामिल हुए। इलॉन मस्क 2004 में कंपनी में निवेशक और बोर्ड चेयरमैन के रूप में आए। विवाद इस बात पर है कि टेस्ला का “फाउंडर” कौन है।

1. इयान राइट: 2005 की शुरुआत में राइट अलग हो गए थे। वो इंजीनियरिंग में योगदान दे रहे थे, लेकिन उनके और एबरहार्ड के बीच मतभेद बढ़ गए। दोनों ने मस्क से एक-दूसरे को निकालने की मांग की।

मस्क ने स्ट्रॉबेल से सलाह ली। उन्होंने कहा एबरहार्ड को रखना शायद बेहतर है। इसके बाद मस्क ने राइट को निकालने का फैसला किया। राइट ने बाद में अपनी कंपनी राइटस्पीड टेक्नोलॉजी शुरू की।

2. मार्टिन एबरहार्ड: मस्क की सलाह को एबरहार्ड अक्सर नजरअंदाज करते थे, जिससे तनाव बढ़ा। 2007 में टेस्ला पैसों की तंगी से जूझ रही थी। मस्क ने कंपनी में और पैसा लगाया, लेकिन वो एबरहार्ड की लीडरशिप से नाखुश थे। 2007 में बोर्ड ने एबरहार्ड को CEO पद से हटाने का फैसला किया। मस्क ने इसका समर्थन किया।

  • पहले माइकल मार्क्स और फिर जीव ड्रोरी अंतरिम CEO बने। 2008 में मस्क ने खुद CEO की जिम्मेदारी संभाली। एबरहार्ड को धीरे-धीरे कंपनी से पूरी तरह अलग कर दिया गया।
  • एबरहार्ड ने 2009 में मुकदमा दायर किया। उनका दावा था कि उन्हें गलत तरीके से निकाला गया और मस्क टेस्ला की कहानी को तोड़-मरोड़कर खुद को फाउंडर के रूप में पेश कर रहे हैं।
  • फिर दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया। इस समझौते में तय हुआ कि पांच लोग- एबरहार्ड, टारपेनिंग, राइट, मस्क, और स्ट्रॉबेल खुद को टेस्ला के को-फाउंडर कह सकते हैं।
टेस्ला के पहले CEO और को-फाउंडर मार्टिन एबरहार्ड (बाएं) और इलॉन मस्क। जुलाई 2006 में कैलिफोर्निया में रोडस्टर के पब्लिक डेब्यू के दौरान की तस्वीर।

टेस्ला के पहले CEO और को-फाउंडर मार्टिन एबरहार्ड (बाएं) और इलॉन मस्क। जुलाई 2006 में कैलिफोर्निया में रोडस्टर के पब्लिक डेब्यू के दौरान की तस्वीर।

3. मार्क टारपेनिंग: एबरहार्ड के साथ मिलकर टारपेनिंग ने टेस्ला शुरू की थी, लेकिन वो प्रबंधन में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। जब एबरहार्ड को निकाला गया और कंपनी में उथल-पुथल मची, तो टारपेनिंग ने भी कंपनी छोड़ने का फैसला किया। वो मस्क के साथ खुलेतौर पर नहीं भिड़े।

4. जेबी स्ट्रॉबेल: टेस्ला के CTO थे और 2019 तक कंपनी में रहे। वो शुरुआती फाउंडर्स में से एकमात्र थे जो लंबे समय तक टेस्ला में रहे। स्ट्रॉबेल ने 2019 में खुद टेस्ला छोड़ी। इसके बाद अपनी कंपनी रेडवुड मटेरियल्स शुरू की, जो बैटरी रीसाइक्लिंग पर काम करती है। उनके टेस्ला और मस्क के साथ संबंध अच्छे रहे।

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