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Student suicide rate has been rising for the past 10 years. | 10 साल से लगातार बढ़ रहा स्‍टूडेंट सुसाइड रेट: किसानों से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स कर रहे आत्‍महत्‍या, एग्‍जाम स्‍ट्रेस समेत ये हैं 10 वजहें

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4 मिनट पहले

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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी की टॉयलेट रिपोर्ट के, साल 2023 में 13,892 लोगों को शहीद कर दिया गया। ये पात्र पिछले दस साल में सबसे ज्यादा है। 2023 में हुई आत्महत्याओं में 8.1% लोगों ने की थी आत्महत्या।

2023 में घाटे के मामले

दोस्तों के अलावा साल 2023 में 14,234 किसानों ने आत्महत्या की है जो कुल आत्महत्या का 8.3% है। इस दस्तावेज़ में कुछ पहलुओं का आकलन अवश्य किया गया है। साल 2022 में 15,783 यानी 9.2% आत्महत्याएं लोगों ने की जगह।

साल 2023 में कुल 1.71 लाख लोगों की मौत हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एग्जाम में फेल होने’ की वजह से 18 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। इस कारण से 1,303 मृतकों की मृत्यु हो गई। लगभग तीन लोगों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की।

10 साल में 70% से ज्यादा की मौत का मामला

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से 2023 के बीच हत्या के मामलों में 72.9% तक की बढ़ोतरी हुई है। इसी के साथ पिछले दशक में यह तीसरी बार है जब कैदी की मौत के मामले इस तरह सामने आए हैं।

2015 में 900 लापता मृतकों के मामले थे। साल 2020 में 2,100 सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई। यह चित्र 2022 में थोड़ा कम जरूर हुआ लेकिन 2023 में फिर 848 मृतकों का विवरण दर्ज किया गया।

भारत में ऑटोमोबाइल्स की रोकथाम के लिए सरकार ने बनाए ये नियम

1. मेंटल स्कॉर्पियो अधिनियम, 2017

इस अधिनियम के अनुसार, मानसिक रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति को इसकी खुराक लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।

2. एंटी रैगिंग मेजर्स

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, रैगिंग की याचिका पर सभी शिक्षण संस्थानों में पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। वर्ष 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की कहानियों पर रोक के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यूजीसी द्वारा रेगियोलॉजी जारी की थी।

3. आर्किटेक्चर सिस्टम

छात्रों की एंजाइटी, स्ट्रेज़, होमसिकनेस, फ़ेल होने के डर जैसे प्रश्नों के लिए यूजीसी ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टैटिक सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।

4. शहीद प्रिवेंशन बॉय निमहंस, एसपीआईएफ के लिए गेटीपर्स प्रशिक्षण

NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस एंड SPIF यानी मेडिकल इंस्टीट्यूट प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस प्रशिक्षण को संचालित करता है। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया गया है जो कि जानलेवा लोगों की पहचान करा सकता है।

5. एनईपी 2020

टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही तकनीशियनों में सामाजिक श्रमिक और काउंसलर भी होने चाहिए।

‘बच्चों को फेलियर हैंडल करना सिखायाते ही नहीं’

मप्र मृतक प्रिवेंशन टास्क फोर्स के सदस्य और साइकैट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत रैना ने कोटा में हो रहे गुप्तचर विशेषज्ञ को लेकर कहा, ‘किसी का भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता। वही उदाहरण सभी बच्चे दे रहे हैं। ऐसे में मृतकों के लिए मिले-जुले कारक जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिक कारण, सामाजिक कारण, पिता-माता का निरीक्षण, शिक्षा तंत्र सब शामिल है।’

डॉ. छात्र कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को ये सिखाया में नाकामयाब हो जाते हैं कि स्ट्रेस, रिजेक्शन या फेलियर से कितना नुकसान होता है। आज बच्चे को लगा कि उसकी शैक्षणिक उपलब्धि उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों से भी बड़ी है। बच्चे की तैयारी रिहाई के लिए तैयार नहीं है, जीवन वापसी के लिए तैयारी है। सोसाइटी ने वैली वैली को बहुत ज्यादा महिमामंडित कर दिया है, जिसकी वजह से बच्चे को यह महसूस होता है कि मैं अभी भी पूरी तरह से हो जाऊंगा जब कोई एग्जॉम क्रैक कर लूंगा।

कोई उदाहरण 14-16 लाख कागजात दे रहे हैं लेकिन सीटें सिर्फ कुछ हजार हैं। ऐसे में सभी जानते हैं कि इसमें सिलेक्शन ना होने वाले बच्चों का नंबर सबसे ज्यादा रहता है। लेकिन फेलियर से डिलिवरी करने के लिए बच्चों को कोई तैयारी ही नहीं है। बाल सभा में मोटिवेशन लेक्चर देने से, काउंसलर लगाने से, कोई मूवी दिखाने से कुछ नहीं होगा। पूरा सिस्टम पर काम करना होगा।

कॉपीकैट का प्रभाव बढ़ने से ख़त्म हो जाते हैं

डॉ. स्टूडेंट ने लगातार हत्या के पीछे एक कारण बर्थर इफेक्ट को भी कहा। इसका मतलब कॉपीकैट आत्मघाती है। इसमें एक पार्टिकलर कॉज की वजह से किसी के कृत्य का महिमामंडन किया गया है। वही कोज को झेल रहे दूसरे लोग भी प्रभावित होकर आत्मघाती हमला कर सकते हैं।

वे कहते हैं कि यही कारण है कि उपदेश का प्रचार-प्रसार बहुत से लोगों के साथ होना चाहिए। जैसे हम हेडिंग में फंसे हैं- वोट करते रहे, किसी ने एक नहीं खाया, पढ़ाई के सामान में बच्चे की जान…. इसमें बच्चे को पीछे कर दिया गया और पढ़ाई के लिए आगे बढ़ाया गया। ऐसे में पढ़ाई का सामान झेल रहे बच्चे को बेकार कि वो तो अच्छा डिज़र्व है। इस वजह से बच्चे में आत्महत्या का विचार आ सकता है।

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