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- राजीव गांधी हत्याकांड की गोपनीय जानकारी गायब | इजराइल भारत
नई दिल्ली4 मिनट पहले
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
21 मई 1991 को तमिलनाडु में एक रैली के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
पुरातत्वविद् नमित वर्मा ने दावा किया है कि इजराइल ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर खतरे की आशंका जताते हुए खुफिया जानकारी साझा की थी। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद इसकी प्रतिलिपि गायब हो गई।
नमित वर्मा ने कहा कि पिछले तीन-चार दशकों में इजराइल ने भारत के साथ कई अहम जानकारियां साझा की थीं। इनमें सबसे अहम राजीव गांधी के जीवन पर खतरे से जुड़ी संभावना थी। यह अनुमान सच भी साबित हुआ। उनकी हत्या के बाद देश की राजनीतिक व्यवस्थाएं बहुत अलग हो गईं।
नमित के मुताबिक, इजराइल की खुफिया जानकारी में साफ कहा गया था कि यह खत्म हो गया है। दावा किया गया कि ‘गॉडमैन’ ने पेट्रोलिंग की है। यह सारी जानकारी दस्तावेज़ों की थी और हमारे गुप्त रहस्यों के बारे में भी पता था। उन्होंने सुरक्षा की मांग भी की थी, लेकिन अस्वीकृत सरकार ने सुरक्षा नहीं दी।
वैश्विक जियोपोलिटिक्स विशेषज्ञ के साथ नामित सुरक्षा मामले
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, बेस्ट बेस्ट नमित ने ये बातें उसानास फाउंडेशन की ओर से एक चर्चा के दौरान आयोजित कीं। निमित दशकों से सुरक्षा मामलों में स्पेशल मास्क के साथ ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स के विशेषज्ञ रह रहे हैं। उन्होंने सुरक्षा विदेश और नीति के कई अहम मामलों में सरकार के साथ मिलकर काम किया है।
इस चर्चा में निमित के अलावा इजराइल के दो सिद्धांतकार, जोसेफ रोजेन और कोबे माइकल भी शामिल थे। इजराइली प्रमुख मामलों के मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर जनरल और फिलिस्तीनी डिवीजन प्रमुख के रूप में काम किया गया है।
इज़राइल ने खुफिया जानकारी की दूसरी प्रति नहीं दी
निमित ने बताया कि राजीव गांधी की हत्या के बाद भारत ने इजरायल से जुड़ी खुफिया जानकारी की एक और कॉपी हासिल कर ली थी। हालाँकि, इज़राइल ने इसे कभी नहीं दिया। प्रोटोटाइप ने कहा कि दो देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में राजनीति कैसे होती है, इसका अधिक स्पष्ट उदाहरण नहीं हो सकता है।
सिद्धांत के अनुसार, उस समय भारत की स्थिति गंभीर थी। सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ था। टैब अमेरिका और सोवियत के बीच बातचीत का जरिया भारत था। राजीव गांधी उस बातचीत का हिस्सा थे।
निमित ने कहा कि देश को दिन-रात के आधार पर एक-दूसरे के साथ काम करना था। ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहां अहम ग्रुप के खुफिया जानकारी को हटा दिया गया है।