नई दिल्ली4 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में एक नाम वाले आधार पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस श्रीश चंद्रा और जस्टिस संदीप शर्मा की बेंच ने कहा कि अगर किसी का नाम राहुल गांधी या बुद्ध यादव है, तो वे चुनाव लड़ने नहीं जा सकते।
कोर्ट ने कहा- बच्चों का नाम उनके माता-पिता हैं। अगर किसी के माता-पिता ने एक नाम दिया है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे पहचाना जा सकता है? क्या कारण है कि उनकी शक्तियां पर प्रभाव नहीं डालतीं?
बेंच ने कहा कि आप जानते हैं कि केस का हश्र क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के बाद वेवा ने अपनी याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
गंदगी ने कहा था- एक नाम से वोटर कन्न फ़ूज़ होते हैं
असल में, साबू स्टीफन नाम के बारे में कहा गया था कि हाई-प्रोफाइल पार्टिसिपेंट पर- उम्मीदवार नाम वाले दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारना पुरानी ट्रिक है। इससे वोटर्स के मन में कन्फ्यूजन पैदा होता है। एक जैसे नाम के कारण लोग गलत उम्मीदवार को वोट देते हैं, और सही उम्मीदवार को नुकसान होता है।
प्रोडक्ट का ज़ानकारी इसके बदले हमनाम उम्मीदवारों को पैसे, सामान और कई तरह के फायदे मिलते हैं। उन्हें भारतीय राजनीतिक और राष्ट्रवादी प्रणाली की कोई जानकारी नहीं है।
स्टीफन ने चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी
ग्रेटर ने कहा कि इस तरह की भागीदारी को कम करने की जरूरत है, क्योंकि एक-एक वोट से उम्मीदवार के भविष्य का फैसला होता है। भर्ती में हमनाम नामांकित को लेकर भारत के चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाने की मांग की गई।
हालाँकि, माइक्रोवेव का पक्ष रख रहे वकील वी के बीजू ने कहा कि वे यह दावा नहीं कर रहे हैं कि ये सभी प्रतियोगी योग्य हैं या उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। हालाँकि, हमनाम मासूम से बचने के लिए एक प्रभावशाली जांच और सही मैकेनिज्म की जरूरत है।
वी के बीजू ने कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 22(3) का हवाला देते हुए कहा कि दो या दो से अधिक लोगों के नाम एक साथ उनके काम, निवास या किसी अन्य तरीके से उनकी अलग पहचान होनी चाहिए।