12 मिनट पहले
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कभी उग्रवाद से प्रभावित असम के मोइनागुड़ी गांव ने आज बुनकरों के गांव के रूप में पहचान बना ली है। यह गांव असम के कोकराझार जिले के गोसाईगांव से लगभग 40 किमी दूर भारत-भूटान सीमा के करीब स्थित है। इस गांव में 66 परिवार के लोग रहते हैं राभा जनजाति के लोग। कुछ समय पहले तक उग्रवाद की वजह से गांव के लोग गरीबी और अभाव में जीने को मजबूर थे। गांव में हथकरघा बुनकर कपड़े तो बन रहे थे, लेकिन उनके उत्पाद की खरीददारी नहीं की गई। हालाँकि अब स्थिति बदल गई है। गांववासियों का कहना है कि उग्रवाद कम होने से अब गांव में लगातार व्यापारी या रह रहे हैं और अपना सामान खरीद रहे हैं। अब उनकी आय भी पहले से शुरू हो गई है। ब्यूरो रिपोर्ट दैनिक भास्कर।