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2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो गई है। भौतिक विज्ञान या चिकित्सा (चिकित्सा), फिजिक्स (भौतिकी), रसायन विज्ञान (रसायन विज्ञान) और शांति के स्नातकों के नाम घोषित हो चुके हैं। हर विजेता को 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (यानी लगभग 10.3 करोड़ रुपये), सोने का मेडल और अंतिम मिलते हैं।
- 6 अक्टूबर को मेडिसन में मैरी ई. ब्रैंको (अमेरिका), फ्रेड रैम्सडेल (अमेरिका) और शि साकागुची (जापान) को टी-सेल की खोज ओर पेरिफेरल इम्मॉन टॉलरेंस पर रिसर्च के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
- 7 अक्टूबर को फिजिक्स में 3 अमेरिकन साइंटिस्ट, जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट, जॉन मार्टिनिस को ग्रेस्कोरिक क्वांटम टनलिंग पर रिसर्च और एक्सपेरिमेंट के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
- 8 अक्टूबर को केमिस्ट्री में सुसुमु कितागावा (जापान), रिचर्ड रॉबसन (ऑस्ट्रेलिया) और उमर एम. याघी (अमेरिका) को मेटल एनालमीडिया फ्रेमवर्क (एमओएफ) की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
आइए हैं इम्यून सिस्टम पर रिसर्च को मेडिसन, फिजिक्स ओर केमिस्ट्री में इस साल का नोबेल पुरस्कार क्यों मिला है।
मेडिसन में इस साल 3 को नोबेल
साल 2025 में मेडिसिन का नोबल प्राइज 3 मिला है। उदाहरण के तौर पर यह पुरस्कार शरीर की रक्षा प्रणाली यानी आईएमईएम सिस्टम को बेहतर समझ की खोज और पेरिफेरल आईएम टॉलरेंस पर रिसर्च के लिए मिला हुआ है।

पेरिफेरल इमाम सिस्टम का मतलब है इम्पीरियल सिस्टम का ऐसा व्यवहार जहां वो शरीर के खुद के टिशू या सेल्स पर हमला नहीं करते हैं। यह सिस्टम बताता है कि हमारे शरीर को कौन से सेल या प्रोटीन मिलता है।
हमारे इम्यून सिस्टम का काम, बाहरी वायरस, रेस्टॉरेंट फॉरन पार्टिकल्स की पहचान कर उनके अलग-अलग हिस्सों को पहचाना जाता है। लेकिन कभी-कभी यह सिस्टम गलत तरीके से शरीर के अपने कार्यप्रणाली को भी खतरनाक संकेत देता है, जिससे ऑटोइम्यून रोग (जैसे टाइप 1 सर्काइटिस, रूमेटलॉयड अर्थराइटिस) आदि हो सकता है।
ऐसा नहीं है इसके लिए बैंको, रैम्सडेल और साकागुची ने इमाम बीआर सिस्टम के ‘सुरक्षा गार्ड’ यानी रेगुलेटरी टी-सेल्स की पहचान की है, यह सुनिश्चित करता है कि इमरान हमारे शरीर को बेचें पर हमला न करें.
इम्युन सितारम को 2 स्टार्स पर सेल्फ़ और नॉन-सेल्फ की पहचान करना सिखाया जाता है।
- सेंट्रल टॉलरेंस : हमारे सीने में मौजूद थाइमस ऑक्सिकिटलैंड और बोन मैरो में इम्यूज़न सेल सेक्शन को प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे अपने शरीर के सेल और टिश्यू पर हमला न कर सकें।
- पेरीफेरल टॉलरेंस : जो सेल सिग्नल ट्रेनिंग से बचा जाता है, उसे कण्ठमाला से बाहर नियंत्रित या साइलेंस किया जाता है। इससे इमैजिन ओवररिएक्शन को शांत किया जाता है। ऐसा न होने पर इम्यूमिनेशन सितारम अपने शरीर से लड़ता रहेगा और ऑटोइम्यूमिन डिसीजेज खोलेगी।
पेरीफेरल इमाम टॉलरेंस सेल्फ एंटीजन की पहचान कर रिटर्न को जॉइन करना है। यानी ये शरीर के इम्यून सिस्टम को कंट्रोल में रखता है।
इस शोध और इसके परिणाम की वजह से भविष्य में कैंसर और ऑटोइम्यून बैक्टीरिया के इलाज और अंग प्रत्यारोपण को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी। नोबेल समिति ने कहा कि यूके रिसर्च ने चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा दी है।
क्वांटम टनलिंग की खोज के लिए फिजिक्स का नोबेल मिला
इस साल फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार 3 अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट, जॉन मार्टिनिस को मिला है। क्वांटम फिजिक्स (क्वांटम टैनलिंग) के बड़े पैमाने पर सुपरकैंट ऑपरेटिंग सर्किट को प्रदर्शित किया गया। यानी बहुत छोटे स्तर पर क्वांटम संख्या में बड़े पैमाने पर भी लागू हो सकते हैं।

क्वांटम टनलिंग की प्रक्रिया में कोई भी कण किसी बाधा को जंपकर नहीं बल्कि उसके ‘आर-पार’ के निशान को निकालता है, जबकि सामान्य फ़िज़िक्स के खाते से यह असंभव होना चाहिए।
आम जिंदगी में हम देखते हैं कि कोई भी गेंद दीवार से टकराकर वापस आ जाती है, लेकिन क्वांटम की दुनिया में छोटे कण कभी-कभी दीवार को पार कर दूसरी तरफ चले जाते हैं। इसे क्वांटम टनटलिंग कहते हैं।
क्वांटम प्रभाव को मानव स्तर पर भी सिद्ध किया गया
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कहा कि इन गैजेट्स ने यह साबित कर दिया है कि क्वांटम प्रभाव मानव स्तर पर भी दिखाई दे सकते हैं। फिजिक्स में एक बड़ा सवाल यह है कि क्वांटम प्रभाव क्या है, जो आम तौर पर बहुत छोटे स्तर पर बड़ा होता है, बड़े पैमाने पर भी दिखाई दे सकता है?
इसके लिए जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस ने वर्ष 1984 और 1985 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एक खसखस प्रयोग किया-
- उन्होंने दो सुपरकंडक्टर (ऐसे पदार्थ जो बिना विभेदित बिजली चला सकते हैं) से एक बिजली का सर्किट बनाया।
- इन दोनों सुपरकांडों के बीच में एक परत थी, जो बिजली को रोकती थी।
- फिर भी, उन्होंने देखा कि सर्किट में सभी चार्ज किए गए कण एक साथ मिलकर ऐसे व्यवहार कर रहे थे, जैसे वे एक कण ही हों।
- ये कण उस प्लास्टिक परत को पार कर दूसरी तरफ जा सकते थे, जो क्वांटम टनटलिंग का प्रमाण था।
- इस प्रयोग से संकलन ने यह नियंत्रण करना और सिस्टम ट्यूटोरियल कि क्वांटम टनटलिंग बड़े पैमाने पर कैसे काम करता है।
यह खोज क्वांटम परमाणु और नई प्रौद्योगिकी के लिए बहुत बड़ी बात है क्योंकि इस खोज से पता चलता है कि क्वांटम का प्रभाव केवल छोटे-छोटे परमाणुओं तक ही सीमित नहीं है। बड़े और आम तरह के सिस्टम में भी क्वांटम पैरामीटर काम कर सकते हैं। इससे हमें सुझाव में मदद मिलेगी कि छोटी (क्वांटम) और बड़ी (क्लासिकल) दुनिया में कैसे जुड़ी हुई है।
सुपरकनेक्टिंग सर्किट्स वो टेक्नोलॉजी में जिस पर क्वांटम कंप्यूटर लगे होते हैं। इस शोध से ऐसे ऑनलाइन बनाना आसान होगा जो क्वांटम बिट्स को सहायक सहायक बनाता है। यही क्वांटम कंप्यूटर की स्थापना है।
इस खोज से पॉडकास्ट और डेटा रिवाइवल में भी बड़े बदलाव आ सकते हैं। बहुत ही छोटे मैग्नेटिक सिग्नल वाले सेंसर और बेहद गरीब मेजर करने वाली पार्टनर बन गईं।
कुल मिलाकर, इस रिसर्च से क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम कोडिंग और क्वांटम सेंसर, को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। साथ ही ये मेडिकल फील्ड में भी काम कर सकते हैं। क्वांटम सेंसर्स से शरीर के बहुत छोटे-छोटे बदलाव भी पकड़े जा सकते हैं, जिससे बेसेबल का शीघ्र पता चल जाता है।
केमिस्ट्री के नोबेल के लिए मेटल इंटेलिजेंट फ्रेमवर्क की खोज
इस नोबेल प्राप्त वाले कुल में ऐसे परमाणु बनाए जाते हैं जिनमें बड़े-बेजर हिस्से होते हैं, गैसोलीन और अन्य रासायनिक पदार्थ आसानी से निकाले जा सकते हैं।

इसे ऐसे समझिए कि इन साइंटिस्टों ने ऐसे एटम की खोज की है जो एक स्पॉन्ज की तरह है मगर ग्रैस्कोपिक स्पॉन्ज। जैसे स्पंज में खाली जगहें होती हैं हवा या पानी के लिए, जैसे ही इस एटम में, एक नेटवर्क की तरह, छोटे होल या पोर्स यानी खाली जगह होते हैं, जहां गैस या अन्य पदार्थ जमा हो सकते हैं हैं।
ये एटम मेटल या कॉम्बिनेशन (कार्बन-बेस्ड) मॉलिक्यूली से बना है। इन रालों को मेटल फ्रैमवर्क्स (MOF) कहते हैं। इसमें ऐसे क्रिस्टल निर्मित होते हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर खाली हिस्से होते हैं। ये खास तरह से डिजाइन किए जा सकते हैं ताकि वे किसी खास चीज को अपार्टमेंट या स्टोर कर सकें।
केमेस्ट्री नोबल पुरस्कार देने वाली समिति ने एमओएफ को हैरी पॉटर सीरीज में हरमाइनी के बैग से कंपनी बनाई है। समिति के सदस्यों ने कहा कि हरमाइनी का बना बैग बाहर से देखने में छोटा लगता है लेकिन अंदर से काफी बड़ा और काफी सामान वाला हो सकता है। इसी तरह MOF भी दिखने में छोटे लेकिन अंगर से काफी बड़े होते हैं।
ये रिसर्च इतनी बड़ी और जरूरी है क्योंकि इसका इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है। जैसे-
- रेगिस्तान की हवा से पानी निकालने में: इस एटम का उपयोग करके, सूखी हवा से भी रसायनिक पानी निकाला जा सकता है।
- पानी से रसायनिक पदार्थ निकालने में: यह एटम कोई भी औषधि पार्टिकल को अपने अंदर की दुकान से पानी को साफ और पीने के लिए बना सकता है।
- हवा से CO₂ निकालने में: यह मेटल मेटलवर्क्स (MOF), कार्बन डाइऑक्साइड स्टूडियो, अपने इनसाइड स्टोर कर सकते हैं और हवा को साफ रखा जा सकता है।
- शुद्ध या मीथेन गैस स्टोर करने में: इस एटम में इन गैसों को सुरक्षित और कम जगह पर रखा जा सकता है।
- शरीर में औषधि के निर्धारण में: इस एटम में संग्रहीत औषधि को शरीर में सही जगह और धीरे-धीरे दिया जा सकता है।
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