7 घंटे पहले
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा के गड्डों में पानी की बर्फ होने का दावा किया है।
इस अध्ययन में अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र (एसएसी)/इसरो के इंजीनियरों द्वारा डिजाइन किए गए कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन लैब और सीएसएम) के विशेषज्ञों की मदद ली गई।
इसरो ने कहा, आईएसपीआरएस जर्नल ऑफ फोटोग्रामेट्री और मॉन्ट्रियल सेंसिंग में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि सतह के नीचे कुछ मीटर बर्फ की मात्रा की तुलना में 5 से 8 गुना अधिक है।
भविष्य के चंद्रमा मिशन में सहायता होगी स्नो की खोज
इसरो ने बताया है कि यह जानकारी भविष्य के मिशनों में चंद्रमा पर बर्फ के नमूने लेने या खोदने और लंबे समय तक स्थापित करने में सहायता के लिए दी गई है।
बर्फ की गहराई के आधार पर भविष्य में चंद्रमा मिशन के प्रक्षेपण के लिए सही स्थान और सही सैंपल कलेक्टिंग पॉइंट का चयन करने में भी मदद मिलेगी।
चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की मात्रा बहुत अधिक है
इसरो ने इस अध्ययन के माध्यम से यह भी दावा किया है कि चांद के उत्तरी ध्रुव में पानी से जमी बर्फ की मात्रा, दक्षिणी ध्रुव की तुलना में है।
2008 में चंद्रयान मिशन के दौरान चंद्रमा पर पानी से जमी बर्फ होने की भविष्यवाणी की गई थी। इसी तरह का दावा चंद्रयान 2 के स्केटर्स फ़्रीक्वेन्सी प्रोजेक्ट अपर्चर के पोलमैट्रिक्स क्रिएटिविटी डेटा में भी किया गया था।
विशालकाय बर्फ से गढ़ों में पानी से मूर्तिकला
अध्ययन से पता चला है कि 3.85 अरब वर्ष पहले इम्ब्रियन काल में विस्फोट हुआ था और चांद के पत्थरों में पानी जमा हुआ था।
इस शोध के लिए इसरो और अन्य शोधकर्ताओं ने उपग्रहों का उपयोग किया था जिसमें चंद्रमा के ऑर्बिटर पर रेडियो, लेजर, ऑप्टिकल, न्यूट्रॉन, स्पेक्ट्रोमीटर, अल्ट्रा-वायलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर शामिल थे।
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चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में कोलोराडो से ज्वालामुखी का विनाश हो सकता था; 4 सेकंड की डेट में प्रोटोटाइप ने इसे लॉन्च किया
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भारत का चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान चांद पर पहुंचने से पहले ही अंतरिक्ष में मोनोकॉलेजकर नष्ट हो सकता था। इसरो की ओर से इस बचाव अभियान के लिए 4 साल की देरी से लॉन्च किया गया था।
इसरो ने एस. सोनम ने हाल ही में इंडियन स्पेस सिचुएशनल एसेसमेंट रिपोर्ट (ISSAR) 2023 जारी की है। पूरी खबर पढ़ें…
नासा के वॉयजर-1 ने 24 अरब वर्ग से भेजे गए संकेत; 5 महीने पहले अंतरिक्षयान की चिप में गड़बड़ी आई थी
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान वायजर-1 ने 24 अरब किलोमीटर की दूरी से संकेत भेजे हैं। पिछले 5 महीनों में यह पहली बार है, जब वायजर ने संदेश भेजा है और नासा के इंजीनियर इसे पढ़ने में सफल रहे हैं।
वायजर 1 को साल 1977 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। वो अंतरिक्ष यात्री द्वारा निर्मित यह इंसान अंतरिक्ष में सबसे अधिक दूरी पर मौजूद है। पूरी खबर पढ़ें…