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- इसरो चंद्रयान 3; मून लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान तस्वीरें | चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव
नई दिल्ली7 घंटे पहले
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
मून के साउथ पोल में लैंडर पैजिन और रोवर विक्रम दिखाई दे रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने चंद्रयान 3 की सफलता के बाद चंद्रमा की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर अंतरिक्षयान की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें साझा की हैं।
इन फोटो पर 15 मार्च 2024 को क्लिक करें। इंडिपेंडेंट शोधकर्ता चंद्रा तुंगथुरथी ने जारी किया है। अगस्त 2023 में चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने जो तस्वीरें शेयर कीं, उनके सैटेलाइट इन हालात में मिनिएचर डिज़ाइन देखने को मिल रही है।
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साउथ पोल पर गार्डन्स के बीच (लाल अंडकोष में) लैंडर विक्रम, (नीले अंडकोष में) रोवर परागान।
नई तस्वीरें चांद की सतह से 65 किलोमीटर की दूरी पर 17 सेमी पर अमावस्या से खींची गई हैं। जबकि इसरो की पुरानी तस्वीरें 100 किमी की पाइपलाइन से 26 सेमी की दूरी पर खींची गई थीं। हाई क्वालिटी इमेज में प्रज्ञान रोवर नज़र आ रही है। रिसर्चर चंद्रा ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि इसरो की लगातार हो रही प्रगति से वे उत्साहित हैं।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 चरणों में हुई थी
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चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। इसमें तीन भाग थे- प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। चंद्रमा की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल स्थापित किया गया था। वहीं लैंडर और रोवर 23 अगस्त 2023 को मून के साउथ पोल पर उतरे थे।
इसरो ने 23 अगस्त 2023 को 30 किमी की पैदल दूरी पर शाम 5 बजे से 44 मिनट में लैंडिंग रॉकेट की शुरुआत की और अगले 20 मिनट में यात्रा पूरी की गई।
चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 दिन में चंद्रमा की परिक्रमा की थी। चंद्रयान ने चांद से 3.84 लाख किमी की दूरी तय की और 55 लाख किमी की दूरी तय की।
चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर के अवलोकन से पता चला कि चंद्रमा की सतह का तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। वहीं चांद के साउथ पोल पर फ्लोर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, अमोनिया, का भी समावेश पाया जाता है।
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यूनीक प्रयोग के साथ चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला, यानी इसरो ने हॉप एक्सपेरिमेंट के बाद एक और यूनीक एक्सपेरिमेंट में चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। इसरो के चंद्रयान-4 मिशन का ये प्रयोग काफी अहम है। चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा का मृदा मिश्रण पृथ्वी पर लॉन्च किया गया। पूरी खबर पढ़ें…
नासा ने भारत से चंद्रयान-3 की तकनीक को मंजूरी दी:इसरो प्रमुख ने कहा- हमने उन्हें चंद्रमा पर नरम भेजा तो बोला सभी को अच्छा लगेगा
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चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट माउंटमेंट भारत ने इतिहास रचा है। भारत के इस कर्मचारी का लोहा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी माना है। इसरो प्रमुख एस.एस.सोम ने बताया कि नासा के पास भारत के लिए प्रौद्योगिकी वर्जित है। पूरी खबर पढ़ें…