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history of journalism historical moments captured in camera | जब जनता की आवाज बने अखबार: इमरजेंसी लगी तो पत्रकार ने लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश छपवाया

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9 मिनट पहले

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भारतीय पत्रकारिता के दो हथियार चल रहे हैं- कलम और कैमरा। आज़ादी के बाद से लेकर अब तक कई लोग ऐसे ही आए, जब ग्रैब ने अपनी जान जोखिम में डालकर उन बंदूकों पर कब्जा कर लिया, जो हमेशा के लिए भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में दर्ज हो गए थे। आज़ादी मिलन के बाद नेहरू की पहली परेड और सार्वजनिक सभा हो, भोपाल गैस त्रासदी हो या फिर पहला भारतीय अंतरिक्ष यान भेजा गया। इतिहास के ये सभी स्वर्णिम पल कैमरे कैद हैं।

जब विद्रोह के अगले दिन पत्रकार अशोक महादेवन ने लोकतंत्र की मौत का शोक संदेश छपवाया

25 जून 1975 को देश में एक चित्र बनाया गया था। इसके अगले दिन रीडर्स डाइजेस्ट के पत्रकार अशोक महादेवन ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक शोक संदेश छपवाया। यह शोक संदेश ‘लोकतंत्र की हत्या’ पर आधारित था। इसमें सच के पति, आजादी के भाई, विश्वास, आशा और न्याय के पिता की मृत्यु 26 जून को हुई थी’ लिखा था।

टाइम्स ऑफ इंडिया में लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश प्रकाशित हुआ।

टाइम्स ऑफ इंडिया में लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश प्रकाशित हुआ।

जब जतीन्द्रदास की मृत्यु की तस्वीर ने ब्रिटिश साम्राज्य को डरा दिया

साल था 1929. क्रांतिकारी जतींद्रनाथ दास कई दिनों तक जेल में बंद रहे और भूख हड़ताल पर रहे। 13 सितम्बर, 1929 को लाहौर की बोरस्टल जेल में जबरन खाना खाते समय उनकी मृत्यु हो गयी। ट्रिब्यून अखबार ने दास की तस्वीर को पहले पन्ने पर छापा था। खबरों के अनुसार इसे देखें शव यात्रा में 5 लाख लोग। ब्रिटिश सरकार डार्गे। इसके बाद बोस्निया ने क्रांतिकारियों के शव को रेज़िना बंद कर दिया था।

13 सितम्बर 1929 को ट्रिब्यून अखबार ने क्रांतिकारी जतीन्द्रदास की मृत्यु की तस्वीर छापी थी।

13 सितम्बर 1929 को ट्रिब्यून अखबार ने क्रांतिकारी जतीन्द्रदास की मृत्यु की तस्वीर छापी थी।

भोपाल गैस त्रासदी का दर्द: जब पिता ने मासूम बेटी को दफनाया

भोपाल गैस त्रासदी इतिहास का सबसे बड़ा खतरानाक में से एक है। 2 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में एक गैस चैंबर में पियक्कड़ हो गया था। हजारों मासूम लोगों ने जान गंवाई थी, नींद में से एक थी ये छोटी बच्ची। स्टीवंस रघु राय ने बताया कि वह बच्ची अपने पिता को गोद ले रही थी।

भोपाल गैस त्रासदी के बाद एक पिता ने अपनी बेटी को दफनाया।

भोपाल गैस त्रासदी के बाद एक पिता ने अपनी बेटी को दफनाया।

इंसानियत की तस्वीर: हॉस्टल के बीच पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित निकाला

चित्र राजस्थान के करौली की है। अप्रैल 2022 में शहर के कुछ इलाक़ों में आग लगा दी गई। कॉन्स्टेबल उत्सवेश फूटाकोट इलाके में शर्मा का बच्चा और उसकी मां सुरक्षित दोस्त ला रहे हैं। यह तस्वीर डेली भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट रेशम शर्मा ने खींची थी।

अप्रैल 2022 में करौली में दंगे के बाद बच्चे को गोद में लेकर एक जादूगर को निकाला गया।

अप्रैल 2022 में करौली में दंगे के बाद बच्चे को गोद में लेकर एक जादूगर को निकाला गया।

जज्बे की तस्वीर: आकाशगंगा ने ऐसे बचे हुए देश को अंतरिक्ष में पहुंचा दिया

तस्वीर देश के शीर्ष वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (दाएं) और वैज्ञानिक आर अरवामुडन की हैं। 1964 में दोनों एक टेस्ट रॉकेट को असेंबल कर रहे थे। डॉ. विक्रम साराभाई ने 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का निर्माण किया था। यही 1969 में इसरो बन गया।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (दाएं) और वैज्ञानिक आर अरवामुडन।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (दाएं) और वैज्ञानिक आर अरवामुडन।

देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट: होमी नेगांधीजी से लेकर दलाई लामा तक की तस्वीरें खींची

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके द्वारा खींची गई महात्मा गांधी, मौलाना नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना की कई तस्वीरें चर्चा में रहीं। लाल किले पर स्वतंत्र भारत का पहला झंडा फहराने से लेकर युवा दलाई लामा के भारत में प्रवेश तक की कई ऐतिहासिक तस्वीरें होमी ने ही लोगों तक पहुंचाईं।

यह तस्वीर देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट होमी व्यारावाला की है।  होमी और अन्य फोटो जर्नलिस्ट प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की फोटो लेते दिख रहे हैं।

यह तस्वीर देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट होमी व्यारावाला की है। होमी और अन्य फोटो जर्नलिस्ट प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की फोटो लेते दिख रहे हैं।

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