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“चरण” आचरण के कारण पूज्य बन जाते है – निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज

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“माथे की धूल ही माथे पर नहीं लगाई जाती हमेशा उन चरणों की धूल ही माथे पर लगाया करते है जो चारित्र के साथ ज्ञान, ध्यान और तपस्या से पूरित होते है |” इसीलिये जैन परंपरा में अकेले “ज्ञान” की ही पूजा नहीं की जाती साथ में चारित्र की भी पूजा होती है लेकिन वह “चारित्र” ज्ञान और श्रद्धान से जुड़ा हुआ होंना चाहिये|” उपरोक्त उदगार निर्यापकश्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में आचार्य गुरूदेव विद्यासागरजी महामुनिराज की समाधि स्थल से प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये।*

मुनि श्री ने कहा कि प्रतिदिन संपूर्ण भारत के श्रद्धालु यहाँ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ पर आ रहे है और समाधि स्थल एवं यहाँ पर विराजमान साधु संतों के दर्शन कर अपने आपको धन्य – धन्य मान रहे है| मुनि श्री ने आचार्य गुरूदेव के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुये कहा कि जगत पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के चरण इसीलिये पूज्य है कि उनका आचरण श्रेष्ठतम रहा तथा दुनिया के लिये एक आदर्श सिद्ध हुआ है | जब हम उनका संपूर्ण जीवन देखते है तो उसमें उनकी मूरत ज्ञान, ध्यान, त्याग और तपस्या के साथ नजर आती है| उनके इसी आचरण से उनके चरण वन्दनीय तथा पूज्यनीय है तथा उनके चरणों की प्रतिष्ठा करके संपूर्ण देश के श्रद्धालु यहाँ चंद्रगिरी के भगवान चंद्रप्रभु तथा यहाँ विराजमान मुनि श्री पवित्रसागर जी, निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी, मुनि श्री आगमसागर जी,मुनि श्री पुनीतसागर जी तथा वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्शमति माताजी तथा संघस्थ माताजी एवं सभी ऐलक एवं क्षुल्लकों के साथ संत समागम कर उनके मंगल आशीष से अपने – अपने नगरों में आचार्य श्री के उन चरणों को पूरी श्रद्धा एवं भक्ती के साथ ले जा रहे है|

मुनि श्री ने कहा कि यह आचार्य श्री के चमत्कारी व्यक्तित्व का प्रभाव है लोगों में बड़ी श्रद्धा है और उसी श्रद्धा के कारण विभिन्न नगरों में चरणों की स्थापना की जा रही है | उन्होंने कहा कि “चरण” आचरण के कारण पूज्य बन जाते है और वही पूज्यता का भाव गुरवर के परोक्ष में भी जैन एवं जैनेतर समाज में देखा जा रहा है। मुनि श्री ने कहा कि चंद्रगिरी डोंगरगढ़ तीर्थ क्षेत्र पर संयमी तथा त्यागी तपस्वियों का जो संघ रुका हुआ है उस संघ के माध्यम से इस छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी पर्वत से संपूर्ण देश में अहिंसा का संदेश पहुंच रहा है | धर्म की प्रभावना हो रही है और चंद्रगिरी तीर्थ ने संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अपनी विशेष पहचान बना चुका है। मुनि श्री ने गुरुदेव के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट करते हुये कहा कि जैसा उनके सदभाव में हम लोग पूजा अर्चना किया करते थे उनके परोक्ष में भी उनके आदर्श और व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुये हम उसी प्रकार उनकी पूजा अर्चना करते रहें।

राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया जिन नगरों तथा तीर्थ क्षेत्रों में चरणों का मंगल प्रवेश हो रहा है वहां से प्राप्त जानकारी अनुसार उन चरणों का गाजे – बाजे के साथ ऐसा भव्य मंगल प्रवेश हो रहा है कि जैसे लगता है कि साक्षात गुरुवर आचार्य श्री का भव्य मंगल प्रवेश कर रहे है। स्थान – स्थान पर तथा विभिन्न जिनालयों के श्रद्धालुओं द्वारा उन चरणों का प्रछालन कर उस पवित्र जल को अपने माथे से लगाकर अपने आपको धन्य – धन्य मान रहे है। उपरोक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया अभी सभी संघ चंद्रगिरी तीर्थ पर ही विराजमान है। निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज स संघ के 22 फरवरी को मंगल विहार की संभावना राजनांदगांव, दुर्ग भिलाई होते हुये रायपुर छत्तीसगढ़ की ओर संभावना व्यक्त की जा रही है| इस अवसर पर चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन, कोषाध्यक्ष सुभाष चंद जैन, महामंत्री निर्मल जैन, मंत्री चंद्रकांत जैन,रीतेश जैन डब्बू,अनिल जैन, जय कुमार जैन, यतिष जैन, राजकुमार मोदी चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या रायपुर, महामंत्री मनीष जैन , निखिल जैन, सोपान जैन, अमित जैन, नरेश जैन जुग्गु भैया, सप्रेम जैन, सहित समस्त पदाधिकारियों ने किया। उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है|

Nemish Agrawal
Nemish Agrawalhttps://tv1indianews.in
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