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Dr Kalam was made to sit at the back of the school staff for wearing a cap. | डॉ कलाम को स्‍कूल में टोपी पहनने पर पीछे बैठाया: टीचर की ब्राह्मण पत्‍नी ने खाना परोसने से मना किया; पढ़ें 6 अनसुने किस्‍से

Published:


7 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा गीतकार

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बच्चों के राष्ट्रपति विशेष तौर पर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम संगीतकारों के बीच बहुत लोकप्रिय हुए। हर साल 15 अक्टूबर को उनका जन्मदिन मित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज अब्दुल कलाम को याद करते हैं जानिए उनके जीवन के कुछ अनकहे किस्से।

इस तस्वीर में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साल 2000 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद अर्जुन सिंह (दाएं) दो दे रहे हैं। बीच में लोक सभा सोमनाथ चटर्जी हैं।

इस तस्वीर में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साल 2000 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद अर्जुन सिंह (दाएं) दो दे रहे हैं। बीच में लोक सभा सोमनाथ चटर्जी हैं।

किस्सा 1 – पिता ने दिखाई दी अध्यात्म की राह

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म मद्रास के रामेश्वरम द्वीप के एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता जैनुलाबुद्दीन ने औपचारिक शिक्षा तो नहीं ली थी लेकिन उनका ज्ञान ऐसा था कि आसपास के लोग हर छोटी-बड़ी चीज के लिए उन्हें सलाह देते थे।

उनके पिता को लेकर अब्दुल कलाम कहते हैं, 'मेरे पिता आध्यात्मिकता से जुड़े अत्यंत जटिल अध्ययन को भी आसानी से समझा देते थे। मैं सारी जिंदगी अपनी विज्ञान और तकनीक की दुनिया में अपने पिता की तलाश करने की कोशिश कर रहा हूं।'

उनके पिता को लेकर अब्दुल कलाम कहते हैं, ‘मेरे पिता आध्यात्मिकता से जुड़े अत्यंत जटिल अध्ययन को भी आसानी से समझा देते थे। मैं सारी जिंदगी अपनी विज्ञान और तकनीक की दुनिया में अपने पिता की तलाश करने की कोशिश कर रहा हूं।’

पास ही के रामाश्रम मंदिर के सबसे बड़े पुजारी लक्ष्मण शास्त्री अब्दुल कलाम के पिता के अंतिम मित्र थे। दोनों चौदह आश्रम अध्यात्म और धर्म की चर्चा। अब्दुल कलाम जब बिल्कुल बड़े हुए तो पिता से प्रार्थना के महत्व के बारे में पूछा। तब उनके पिता ने कहा था, ‘प्रार्थना के माध्यम से लोगों के सपनों का मिलन होता है।’ जब आप प्रार्थना करते हैं तो आपके शरीर का भाग ब्रह्मांड बन जाता है। तब आपको कोई विभाजन या भेदभाव महसूस नहीं होता। सभी धर्म, आयु, लिंग वाले लोग एक जैसे ही महसूस करते हैं।’

आगे की पढ़ाई के लिए जब अब्दुल कलाम को रामाराम ने गिरफ्तार किया तो उनके पिता ने कहा, ‘अबुल, मैं जानता हूं कि आगे बढ़ने के लिए मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा। जिस तरह सीगुल अकेला आगे बढ़ता है, उसी तरह का हथियार भी आगे स्थापित होगा।’

इसके बाद पिता कलाम और उनके तीन भाई मस्जिद लेकर चले गये। रेलवे स्टेशन पर रेलवे स्टेशन पर रुके हुए पिता ने कलाम से कहा, ‘इस द्वीप पर भक्तों का शरीर तो है, लेकिन आत्मा यहां नहीं है। ‘त्रैमासिक आत्मा आने वाले कल की उम्मीदों में है जहां राम राम से कोई नहीं आ सकता, सपने में भी नहीं।’

किस्सा 2 – फ़्रैटलैस में टोपोलॉजी पर स्ट्रेंथ ने पीछे की ओर रुख किया

उस समय अब्दुल कलाम राम राम एलिमेंट्री स्कूल की पांचवी कक्षा में पढ़ाई हुई थी। रामानाधा शास्त्री के बेटे रामानाधा शास्त्री के साथ राम मंदिर के पुजारी की गहरी दोस्ती थी और दोनों क्लास में पहली बेंच पर एक साथ थे। कलाम सिर पर टोपी के फूल थे तो वहीं रामनाधा के कंधे पर जनेऊ रहते थे।

एक दिन क्लास में एक नया टीचर आया। इसमें यह नहीं देखा गया कि पुजारी का बेटा एक मुस्लिम के साथ है। टीचर ने तुरंत अब्दुल कलाम को पीछे की ओर बैठने को कहा। कलाम को दुख तो हुआ लेकिन टीचर की बात टाल नहीं पाए। तो सामान सामान और पीछे जाने लगे। दूसरी ओर उनके पक्के दोस्त रामानाधा शास्त्री फूट-फूटकर रोने लगे। स्कूल ख़त्म होने के बाद दोनों दोस्तों ने अपने-अपने घर में यह किस्सा बताया। लक्ष्मण शास्त्री ने जब बेटे के मुंह से ये बात सुनी तो उन्होंने तुरंत उस टीचर को बुला लिया।

लक्ष्मण शास्त्री ने कहा था, ‘सामाजिक अशांत और सांप्रदायिक अशिष्णुता के जघन्य बच्चों के दिमाग में सजा की जरूरत नहीं है। ‘जो किया है या तो वामपंथियों या रामाराम से चले जाओ।’ इसके बाद टीचर ने न केवल छूट दी बल्कि अपने व्यवहार में भी सुधार किया।

दूसरी ओर कलाम के विज्ञान शिक्षक सिवासुब्रमण्यम अय्यर थे। वो ब्राह्मण थे और उनकी पत्नी अत्यंत रूढ़िवादी विचारधारा की थी। वो सामाजिक भेदभावों को पाटने की काफी कोशिशें करते रहते थे। वो अब्दुल कलाम के साथ घंटो बिताते हैं और कहते हैं, ‘कलाम मैं चाहता हूं कि तुम आगे बढ़ो और बड़े शहरों में पढ़े-लिखे लोगों के साथ मुकाबला करो।’

किस्सा 3 – ब्राह्मण की पत्नी ने खाना बनाना शुरू कर दिया

एक दिन एक टीचर सिवासुब्रमण्यम अय्यारी ने अब्दुल कलाम को अपने घर पर बुलाया। टीचर की पत्नी अपने घर में एक मुस्लिम लड़के को देखकर हक्की-बक्की रह गई। उन्होंने अपनी साफा-सुथरी रेसिपी में मुस्लिम लड़के को खाना बनाने से मना कर दिया।

इससे नाराज होकर नाराज नहीं हुए। वे कलाम को अपने हाथों से खाना बनाने और खुद भी बराबर में आसन स्टूडियो खाना खाने बैठ गये। टीचर की पत्नी रसोई के दरवाजे पर खड़ी-खड़ी यह रुकी हुई है।

खाना जब कलाम घर जाने लगे तो टीचर ने उन्हें छोड़ दिया और अगले हफ्ते फिर आने को कहा। कलाम की झिकझिक देखकर ट्विटर पर बोले, ‘जब आप बदलाव करने की ठान लो तो इस तरह की नकारात्मक चीजों का सामना करना ही पड़ता है।’ अगली बार कलाम जब उनके घर आया तो उनकी पत्नी ने दोनों को खाना खिलाया।

अब्दुल कलाम और नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर गुजरात सरकार के जहाज निर्माण पर एक दर्शन के दौरान ली गई थी।

अब्दुल कलाम और नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर गुजरात सरकार के जहाज निर्माण पर एक दर्शन के दौरान ली गई थी।

किस्सा 4 – गलत ट्रैकलास में बैठने पर टीचर ने कान खींचे

रामास्वामी से अब्दुल कलाम ने रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हाई स्कूल में आतिथ्य ले लिया। यहां उन्हें घर के आराम की, दोस्तों और मां के हाथों का खाना याद आया। लेकिन पढ़ाई का प्रस्ताव कर वो हर बार रुक जाता है।

रामकृष्णा आर्य उन्हें गणित पढ़ते थे। एक दिन रामकृष्ण जब दूसरी कक्षा में पढ़ रहे थे तो कलाम भी वहाँ पहुँच गये। टीचर को जब यह पता चला तो अब्दुल कलाम का कान पकड़ा गया और पूरी क्लास के सामने आ गई। क्लास से बाहर भी निकाला गया। इसके बाद साल के अंत में जब कलाम को गणित में पूरा नंबर मिला तो रामकृष्ण अय्यरीब ने सुबह की असेंबली में पूरे स्कूल के सामने कलाम की जय-जयकार करते हुए कहा, ‘मैं इसका भी कान अलाम हूं वो बड़ा आदमी बन जाता है। मेरी याद रखें, इस बच्चे ने एक दिन अपने स्कूल और टीचर्स का नाम बताया।’

किस्सा 5 – एक महीने का प्रोजेक्ट 3 दिन में पूरा करने का चैलेंज मिला

एमआईटी यानी मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की पढ़ाई के आखिरी साल में अब्दुल कलाम और उनके चार साथियों पर हमले का एयरक्राफ्ट डिजाइन करने का प्रोजेक्ट दिया गया था। एयरोडायनेमिक डिजाइन बनाने की जिम्मेदारी कलाम को दी गई।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एयरफोर्स जॉइन करना चाहते थे लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया। हालाँकि राष्ट्रपति बनने के बाद वो त्रिसैन्य के सर्वोच्च बन गये। उन्होंने सुखोई Su- 30MKI फाइटर जेट भी उड़ाया।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एयरफोर्स जॉइन करना चाहते थे लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया। हालाँकि राष्ट्रपति बनने के बाद वो त्रिसैन्य के सर्वोच्च बन गये। उन्होंने सुखोई Su- 30MKI फाइटर जेट भी उड़ाया।

एक दिन उनके डिजाइन के प्रोफेसर स्लीरिन जोक उन दिनों एमआईटी के डायरेक्टर भी थे, कलाम के पास आए और उनका डिजाइन देखने को मिला। डिजाइन देखकर प्रोफेसर बहुत नाराज हो गए और कलाम से बोले, ‘देखो आज शुक्रवार है।’ मैं तीन दिन का समय देता हूं। अगर सोमवार तक बारात डिजाइन तैयार नहीं हुई तो शादी स्कॉलरशिप रोक दी जाएगी।’

कलाम ने प्रोफेसर से बहुत कहा कि उन्हें एक महीने का समय लगेगा लेकिन वो प्रोफेसर नहीं माने। इसके बाद अब्दुल कलाम ने दिन-रात एक कर दी। उस रात कलाम पूरी रात डिजाइन पर काम कर रहे थे। खाना खाने के लिए भी नहीं उठेगा। अगली सुबह उन्होंने सिर्फ एक घंटे का ब्रेक लिया जिसमें उन्होंने हैंड-पैर धोए और कुछ खाना खाया। रविवार दोपहर को विदेशी जगह पर ऐसा लगा कि डिजाइन पूरा होने वाला है। इसी दौरान अब्दुल कलाम को ऐसा लगा कि उनके कमरे में उनके अलावा कोई दूसरा भी है। पीछे मुडकर ने देखा तो प्रोफेसर श्रीनिवासन थे। प्रोफेसर जिम खाना से सीधे वहां आए थे और अब तक अपने टेनिस टूर्नामेंट वाले फुटबॉल में ही थे। कलाम का डिज़ाइन देखने के बाद प्रोफेसर सरीनन ने उन्हें गले लगाया और कहा, ‘मुझे पता है कि मैं तुम पर डांस कर रहा था और मैंने जो स्टार डेडलाइन का मैच खेला था। करना आसान नहीं था. मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतना अच्छा करोगे। बहुत बढ़िया।’

किस्सा 6 – इमली के टुकड़े से हुई पहली कमाई

1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, उस समय कलाम 8 वर्ष के थे। युद्ध की वजह से बाजार में अचानक इमली के मॉडल की धूम मच गई। 8 साल के कलाम ने इमली के बीज इकट्ठा कर उन्हें बेचा शुरू कर दिया। एक दिन में उनकी 8 साल की कमाई हुई थी।

कुछ समय बाद युद्ध की वजह से रेलवे स्टेशन पर रेलवे स्टेशन ने रुकना बंद कर दिया। कलाम के कजिन शमसाउद्दीन रामास्वामी ने अखबार में आग का काम किया था लेकिन ट्रेन के स्टेशन पर उनका काम मुश्किल हो गया था। इसके बाद तरकीब ने दिखाया कि मोटर ट्रेन से अखबारों के सामान बाहर निकले जिसमें बाहर खड़ा शम्सुद्दीन होल्डिंग शामिल था। जल्द ही शम्सुद्दीन को समझ आया कि यह काम उसके एक दोस्त के लिए जरूरी है। उन्होंने अब्दुल कलाम से मदद मांगी। इस तरह अब्दुल कलाम को पहली बार नौकरी मिली।

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