डोंगरगढ़:
डोंगरगढ़16 नवंबर 2025
श्री दिगंबर जैन तीर्थ चंद्रगिरि डोंगरगढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में महासमाधि धारक परम पूज्य
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित एवं परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज
का 16 नवंबर 2025 को दोपहर की बेला में 12 वर्ष बाद आगमन हुआ ज्ञात होकि
समाधिस्थ परम पूज्य आचार्य श्रीविद्यासागर जी महाराज के साथ डोगरगढ़ में चातुर्मास एवं प्रवास में मुनिश्री साथ में रहे हैं उसके बाद आगमन हुआ है*
आर्यिका श्री आदर्श मति माताजी ससंघ ने एवं प्रतिभास्थली की छात्राओं के द्वारा बैंड बाजा बजाकर एवं हाँथ में ध्वजा लेकर जयघोष के साथ आगवानी की, जगह-जगह पाद प्रक्षालन किया गया ,आरती उतारी गई, इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भावसागर जी महाराज ने कहा कि
,भक्ति से तन ,मन ,वचन ,वतन, धन ,जीवन सफल हो जाता है ,पूजा भक्ति एक अमृत रस है,भक्ति से शरीर मन, आत्मा ,हृदय शुद्ध होते है एवं,समाज, देश, परिवार शुद्ध होता है, मोक्ष के द्वार का ताला भक्ति रूपी चाबी से खोला जाता है, भक्ति पापी मन को पवित्र करती है, तल्लीनता से भक्ति करने से अतिशय ,चमत्कार होते हैं , भक्ति से आनंद ,उत्साह, सफलता की प्राप्ति होती है , भक्ति से ऊर्जा मिलती है,
आप ऐसी भावना करें
हे प्रभु मेरे पैरों में इतनी शक्ति देना की दौड़-दौड़ कर आपके दरवाजे आ सकूं तीर्थ क्षेत्र की वंदना कर सकू , मुझे ऐसी सद्बुद्धि देना कि सुबह शाम घुटने के बल बैठकर आपको नमस्कार सकूं ,जब तक जिऊँ जीभ पर आपका नाम रहे ,प्रेम से भरी हुई आंखें देना, श्रद्धा से झुका हुआ सिर देना ,सहयोग करते हुए हाथ देना, सत्पथ पर चलते हुए पाव देना और स्मरण करता हुआ मन देना अपनी कृपा दृष्टि और सद्बुद्धि देना
भक्ति मुक्ति महल की चाबी है, गुणीजनों में दान ,पूजा ,विनय का भाव होना भक्ति है ,भक्ति सर्वश्रेष्ठ रस है, भक्ति जीने की कला सिखाती है , भक्ति श्रद्धा की कसौटी है, पूजा भक्ति एक सरिता है, विनय भक्ति का श्रेष्ठ तरीका है, प्रभु के गुण अनुराग को भक्ति पूजा, अर्चना ,वंदना या प्रार्थना कहते हैं, जिससे विशेष शक्तियों की प्राप्ति होती है, और आध्यात्मिक सिद्धियां प्रकट होती है ,मन का विकार धुल जाता है, इससे शरीर समाज ,देश ,परिवार विश्व शुद्ध होता है|
