नई दिल्ली15 मिनट पहले
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कंपनी के मुताबिक, कोवैक्सिन के तहत लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के तहत 27 हजार लोगों को टीका लगाया गया था।
कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि हमारी वैक्सीन सुरक्षित है। इसे चकमा समय हमारी पहली निजी लोगों की सुरक्षा थी और दूसरी प्राथमिकता वैक्सीन की गुणवत्ता थी। भारत बायोटेक ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में ये बातें कहीं।
कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन भारत सरकार के कोविड-19 वैक्सीन कार्यक्रम की इकोलौटी वैक्सीन थी, जिसे भारत में ट्रायल किया गया था। कंपनी के मुताबिक, कोवैक्सिन के तहत लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के तहत 27 हजार लोगों को टीका लगाया गया था। इसे क्लिनिकल प्लास्टिक मॉड के तहत सीमित उपयोग के लिए लाइसेंस दिया गया था, जहां हजारों लोगों को इसका लाइसेंस दिया गया था।
असल में, कोवीशील्ड को लेकर विवाद चल रहा है कि इसके इस्तेमाल से कुछ मामलों में लोगों को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसिटोनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेट प्लेट की संख्या गिर जाती है। स्ट्रोक हार्ट और बीट थम्ने जैसे गंभीर खतरे हो सकते हैं।
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भारत बायोटेक बोली- कोवैक्सिन से किसी बीमारी का मामला सामने नहीं आया
कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन की सुरक्षा का आकलन देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था। कोवैक्सिन के निर्माण से लेकर अब तक इसकी आंशिक निगरानी की जा रही थी। कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़े सभी अध्ययन और स्टडीज फॉलो-अप एक्टिविटीज से कोवैक्सिन का सबसे बेहतरीन ऑस्ट्रिया रिकॉर्ड सामने आया है। अब तक कोवैक्सिन को लेकर ब्लड क्लॉटिंग, थ्रोम्बोसाइटोपिनिया, टीटीएस, वीआईटीटी, पेरीकार्डियलजि, मेयोकार्डलिसिस जैसी बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है।
कंपनी ने कहा कि अनुभवी इनोवेटर्स और उत्पाद निर्माता विशेष रूप से भारत बायोटेक की टीम से कहते हैं कि कोरोना वैक्सीन का असर कुछ समय के लिए हो सकता है, ताकि मरीज की सुरक्षा पर असर पड़ सके। यही वजह है कि हमारी सभी वैक्सीन में हमारा सबसे पहला फोकस रहता है।
भारत बायोटेक पर कोवैक्सिन का बयान पूरा पढ़ें…
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ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का फॉर्मूला कोवीशील्ड पर आधारित है
पुणे के आर्किटेक्चर इंस्टीट्यूट ने देश में कोरोना की पहली वैक्सीन बनाई थी। इसे कोवीशील्ड नाम दिया गया। आईएस फॉर्मूलेशन की ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन ली गई थी। हाल ही में एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। हालाँकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) के मामले में ही होगा।
ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं अन्य कई गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ा। कंपनी के कोर्ट में इसके खिलाफ 51 मामले चल रहे हैं। क्रीड़ा ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।
ब्रिटिश कोर्ट में जमा की गई संपत्ति में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेट प्लेट की संख्या गिर जाती है।
इसके बाद भारत में कोविशील्ड पर भी सवाल उठने लगे। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की जांच के लिए एक याचिका दायर की गई। कहा गया है कि इसमें कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स की जांच करने के लिए बीटा पैनल बनाने का निर्देश जारी किया जाएगा। कोविशील्ड केस में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी…पूरी खबर यहां पढ़ें…
पीएम ने कोवैक्सिन के 2 डोज लगाए थे
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मोदी ने 1 मार्च, 2021 को कोवैक्सिन की पहली खुराक ली थी।
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8 अप्रैल, 2021 को कोवैक्सिन की दूसरी खुराक ली गई।
एस्ट्राजेनेका केस में जिस खतरनाक टीटीएस का ज़िक्र, वो क्या है
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एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा:ब्रिटिश कंपनी ने कोर्ट में माना; भारत में इसी फॉर्मूले से बनी कोवीशील्ड के 175 करोड़ डोज लगे
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अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के स्पेसिफिक ने ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक जाने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ता है। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटरनेशनल ब्लीडिंग भी हुई।
पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। मई 2023 में स्कॉट के वैक्सीन के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से टीटीएस नहीं हो सकता है. हालांकि इस साल फरवरी में अदालत में जमा संपत्ति में कंपनी का यह दावा खारिज हो गया। इन दस्तावेज़ों की जानकारी अब सामने आई है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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