16.8 C
New York

चंद्रगिरी सुमेरु पर्वत के समान शोभायमान हो रहा है – निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज

Published:

डोंगरगढ़ :

आचार्य श्री कहकर कम और अपने चरित्र एवं चर्या से ज्यादा शिक्षा देते थे|

  • निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर महाराज

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की समाधि स्थल चंद्रगिरी पर निर्यापक श्रमण वीरसागर महाराज की भव्य मंगल अगवानी

“विरह रो रही है, मिलन गा रहा है,आवागमन का क्रम बतला रहा है ऐ मानव तू कहाँ जा रहा है |” एक पवित्र भाव को लेकर के इस पवित्र स्थली पर हम और आप सभी उपस्थित हुये है | अंतिम समय गुरुवर की कठोर साधना का यही पर बीतने के कारण यह क्षेत्र सुमेरु पर्वत के समान शोभायमान हो रहा है|” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी पर प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से गुरुदेव का इतिहास जुड़ा हुआ है| उन क्षणों को आपने भी महसूस किया है और हम सभी ने भी महसूस किया है। मुनि श्री ने कक्षा 10वी बोर्ड एग्जाम की सभी छात्राओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि आप सभी सफल हों और आगे बड़े तथा क्षेत्र पधारे सभी अभिभावकों तथा श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि आप लोग श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का मंडल यहाँ से लेकर जाऐं तथा जो भी श्रद्धालु इसे लेकर जा रहे है वह अपने क्षेत्र के मंदिरों में भी ले जाकर रख सकते है तथा अपने घरों पर भी रख सकते है| जिससे समय – समय पर पूजा पाठ, विधान कर स्मृति को ताजा रख सकें। मुनि श्री एवं आर्यिका संघ ने चंद्रगिरी प्रतिभास्थली और आचार्य श्री के आशीर्वाद से चल रहे सभी कल्पवृक्षों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर प्रातःकालीन बेला में आये निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर महाराज वहुत ही भाव विहल थे उन्होंने आचार्य गुरूदेव को स्मरण करते हुये कहा कि 2011 एवं 2012 के वह क्षण पल पल याद आ रहे है जब पूज्य गुरूदेव के साथ यहाँ पर मैने दो चातुर्मास किये थे | उन्होने कहा कि 12 वर्ष का वह काल बीत गया अब तो यहाँ पर गुरुदेव की मात्र स्मृति शेष है| मुनि श्री ने इस क्षेत्र की वर्गणाओं की चर्चा करते हुये कहा कि हमने साक्षात तीर्थंकर भगवान को तो नहीं देखा लेकिन उनकी निसिद्धिका क्षेत्र “श्री सम्मेद शिखर जी” को देखा है जहाँ से उनकी निर्वाण की प्राप्ती हुई थी| जैसे उस माटी को छुने का भाव हम सभी को होता है| उसी प्रकार चंद्रगिरी की यह माटी जहाँ पर आचार्य भगवन ने अपना अंतिम समय बिताया उनके एक – एक कदम जहाँ – जहाँ भी पड़े वह माटी धन्य हो गई। आचार्य श्री ने कहा था की चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र बहुत बड़ा बनेगा | मुनि श्री ने स्मरण करते हुये कहा कि आचार्य गुरुदेव ने सिरपुर महाराष्ट्र में 25 दिसम्बर 2022 को मुनि श्री उत्कृष्टसागर महाराज को मुनि दीक्षा प्रदान कर वहां से विहार किया था तथा 30 जनवरी 2023 को बिना कही रुके इस क्षेत्र पर सीधे पधारे थे और 17 फरवरी 2024 तक इस माटी के कण – कण को पवित्र करते रहे| उन्होंने कहा कि यहाँ के कण – कण में गुरुदेव के पावन चरण रज की धुली विद्यमान है| उन्होंने 2011-12 की उन स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि आचार्य श्री ने 2012 चातुर्मास में सर्वप्रथम संघ को “भगवति आराधना” का अध्य्यन यहाँ चंद्रगिरी में कराया था | उसमे स्पष्ट आता है की उत्कृष्ट समाधि का काल 12 वर्ष का होता है | जिसे आचार्य श्री ने चरितार्थ कर हमें दिखाया है | वे कहकर कम और अपने चरित्र एवं चर्या से ज्यादा शिक्षा देते थे | घंटों खड़े रहकर चंद्रप्रभु भगवान की मूर्ति का निर्माण कराया तथा प्रतिभास्थली चेतन कृति का भी उन्होने ही निर्माण किया| उन्होने कहा कि जैसे श्री सम्मेद शिखर सभी जैनिओं के लिये पावन तीर्थ क्षेत्र है वैसे ही यह चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र का कण – कण पवित्र है | यहाँ कि बहने वाली हवा भी औषधि का ही काम करती है | उन्होंने कहा कि श्रीसम्मेद शिखर में जैसे लाखों करोड़ों वर्ष बीत गये है लेकिन वहाँ की वर्गणायें आज भी जीवंत है| ऐसे ही यह क्षेत्र भी गुरदेव की प्रेरणा से ओतप्रोत है जैसे कर्नाटक में आचार्य कुंद – कुंद की समाधि स्थल “सिमोगा क्षेत्र” है उसी प्रकार चंद्रगिरी भी किसी सिद्धक्षेत्र से कम नही है | यहाँ पर आकर मन में शांति मिली है। राष्ट्रीय प्रवक्ता आविनाश जैन विद्यावाणी तथा प्रचार प्रसार प्रमुख निशांत जैन (निशु) ने बताया प्रातःकालीन बेला में निर्यापक श्रमण वीरसागर महाराज स संघ की मंगल अगवानी क्षेत्र पर विराजमान निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज,मुनि श्री पवित्रसागर महाराज, मुनि श्रीआगमसागर महाराज, मुनि श्री पुनीतसागर महाराज, वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी,आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्श मति माताजी, सहित संपूर्ण आर्यिका संघ ने तथा ऐलक श्री निश्चयसागर, ऐलक श्री धैर्यसागर ,ऐलक श्री निजानंद सागर,ऐलक श्री स्वागत सागर क्षु.संयम सागर ने की इस अवसर पर त्रय मुनिराजों की वंदना की तथा समस्त संघस्थ क्षु. श्री मनन सागर,क्षु. श्री विचार सागर,क्षु.श्रीमगनसागर,क्षु.श्री विरलसागर सहित समस्त आर्यिका संघ ने सभी मुनिराजों की त्रय बार वंदना की| इस अवसर पर प्रतिभास्थली की समस्त शिक्षिकाओं एवं समस्त छात्राओं ने आचार्य गुरुदेव विद्यासागर महाराज की जयजयकार से आकाश गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के परिसर में आयोजित धर्म सभा का संचालन चंद्रकांत जैन ने किया आचार्य श्री के चरण चिन्ह का पाद प्रछालन किया गया तथा नागपुर से आऐ श्रेष्ठियों का सम्मान चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री किशोर जैन, महामंत्री निर्मल जैन, कोषाध्यक्ष श्री सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, अनिल जैन,जयकुमार जैन, यतीश जैन, सप्रेम जैन,विद्यायतन के अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, निखिल जैन, सोपान जैन, नरेश जैन, अमित जैन, दीपेश जैन आदि पदाधिकारी ने किया। उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी |

Nemish Agrawal
Nemish Agrawalhttps://tv1indianews.in
Tv Journalist Media | Editor | Writer | Digital Creator | Travel Vlogger | Web-app Developer | IT Cell’s | Social Work | Public Relations Contact no: 8602764448

Related articles

spot_img

Recent articles

spot_img