“चंद्रगिरी” डोंगरगढ़ अपने आप में छत्तीसगढ़ का महातीर्थक्षेत्र है इस पहाड़ी से जैन पुरातत्व की विशेषताऐं और प्राचीनता जुड़ी हुई है” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने व्यक्त किये

मुनि श्री ने कहा संस्कृत में क्षेत्र का अर्थ जमीन से लिया गया है जैसे किसान के लिये जमीन का महत्व होता है उसी प्रकार धर्मात्मा के लिये “क्षेत्र” अर्थात ऐसा प्राचीन स्थान जहाँ पर तीर्थंकर भगवान के कल्याणक हुये हों अथवा कोई मुनि वहां से मोक्ष गया हो ऐसे स्थलों को तीर्थक्षेत्र कहते है।
उन्होंने क्षेत्र की महिमा बताते हुये कहा कि जैसे किसान के पास कितना ही अच्छा बीज क्यों न हो,लेकिन यदि उसके पास उस बीज को बोने के लिये अच्छी जमीन नहीं है तो वह बीज अच्छी फसल प्रदान नहीं कर पाता और उन बीजों की परंपरा भी आगे नहीं बढ़ पाती लेकिन बीज यदि कमजोर है,यदि उसे अच्छी जमीन पर बो दिया जाये तो फसल अच्छी आती है और किसान मालामाल हो जाता है,उसी प्रकार”श्रद्धा” आपके पास है लेकिन उस श्रद्धा को यदि उचित धार्मिक वातावरण नहीं मिले तो वह श्रद्धा के भाव समाप्त हो जाते है “चंद्रगिरी” डोंगरगढ़ अपने आप में छत्तीसगढ़ का महातीर्थ क्षेत्र है इस पहाड़ी से जैन पुरातत्व के रुप में प्राचीनता जुड़ी हुई है |

मुनि श्री ने इतिहास बताते हुये कहा लगभग 110 वर्ष पहले जब जहाँ पर रेल्वे लाईन की खुदाई का कार्य चल रहा था तो खुदाई में जैन तीर्थकरों की प्रतिमाएं प्राप्त हुई तथा कई प्रतिमाओं के अवशेष मिले इससे यह सिद्ध होता है कि यह क्षेत्र जैन संस्कृति का विशेष केंद्र रहा होगा जहाँ का सुरम्य प्राकृतिक शांत वातावरण में आचार्य गुरुदेव की करुणा को इतनी बरसी कि यह क्षेत्र पूरे छत्तीसगढ़ का इकलौता ऐसा तीर्थक्षेत्र बन गया|

अष्ठम तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का जहाँ अतिशय है और उनके नाम से ही यह क्षेत्र प्रसिद्ध हुआ है इसके साथ इस क्षेत्र की एक विशेषता और जुड़ गई कि गुरवर ने अपनी साधना संल्लेखना का अंतिम समय इसी क्षेत्र पर गुजारा इसलिये यह तीर्थ ही नहीं बल्कि महातीर्थ है|
मुनि श्री ने कहा हम सभी के पास गुरुदेव के द्वारा उच्च किस्म के भावों के बीज है लेकिन उन बीजों को बोने के लिये यदि योग्य जमीन न मिले तो वह भावों के बीज ही अकेले नष्ट नहीं होंगे उन बीजों की परंपरा ही नष्ट हो जाऐगी|
उन्होंने कहा कि जहाँ पर आचार्य श्री के चातुर्मास और शीतकालीन वाचना होंने से यह तपो भूमी,साधना भूमी तथा स्वाध्याय भूमी के रूप में प्रसिद्ध हो गया है|
क्षेत्र पर साधू संतों का आगमन और उनकी साधना तथा उत्पन्न वर्गणाओं से यह क्षेत्र और भी अधिक अतिशयकारी होता जा रहा है।
प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया वर्तमान में जहाँ पर निर्यापक मुनि श्री समतासागर जी,मुनि श्री पवित्रसागर जी,निर्यापक श्रमण वीरसागर जी,मुनि श्री आगमसागर जी,मुनि श्री पुनीतसागर जी सहित वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी,आर्यिकारत्न आदर्शमति माताजी सहित ऐलक, क्षुल्लक तथा बाल ब्रहम्चारीओं के द्वारा प्रतिदिन प्रातःकाल “आचार्य सार” मध्यान्ह में आचार्य कुंदकुंद द्वारा रचित “प्रवचनसार” का स्वाध्याय चल रहा है जिसमें तत्वचर्चा के साथ जिज्ञासाओं का भी समाधान भी होता है|
प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया प्रातः 7:30 से अभिषेक और शांतिधारा तथा आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महाराज की समाधि स्थल पर प्रातः8:30 बजे से गुरुदेव के चरण पर प्रछालन एवं विद्यानिधि आचार्य श्री समयसागर महाराज की भक्तीभाव से पूजन के पश्चात विराजमान मुनिसंघ तथा आर्यिकासंघ के प्रवचन चल रहे है|
जहाँ पर सायंकाल में आचार्य भक्ति का दृश्य बहुत ही अनोखा दिखाई देता है, इस अवसर पर देश विदेश से भक्त श्रद्धालुओं का प्रतिदिन आवागमन हो रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद अपना आभार व्यक्त करने उपस्थित मुनि संघ, आर्यिका संघ से आशीर्वाद लेने और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि स्थली के दर्शन करने आज श्रीमती गुलापा बाई मंडावी नवनिर्वाचित सरपंच ग्राम राजकट्टा (कुर्रुभाठ) एवं पंच श्री रमेश पड़ोती, श्रीमति सतरूपा बाई नेताम, श्रीमती निर्मला बाई नेताम, श्री बलेश्वर नेताम, श्रीमती राधिका बाई मंडावी चंद्रगिरी आये जिनका अभिनन्दन श्री सुभाष चन्द जैन, श्री निखिल जैन, श्री दीपेश जैन, श्री सोपान जैन, श्री अमित जैन (मीनू) ने माला पहनाकार और तिलक लगाकर किया और उनको चुनाव जितने पर शुभकामनाये दी |इस अवसर पर मुनि श्री पवित्रसागर जी, मुनि श्री आगमसागर जी, मुनि श्री पुनीतसागर जी, आर्यिकारत्न गुरुमति-माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्शमति माताजी सहित समस्त ऐलक, क्षुल्लक तथा बाल ब्र. एवं दीदियाँ उपस्थित थी|
चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रथम समाधि दिवस तिथी माघ सुदी९ दिनांक 6 फरवरी 2025 को गृह मंत्री भारत सरकार के माननीय अमित शाह जी द्वारा जो स्मारक सिक्का जो कि चांदी तथा अन्य धातुओं के साथ बना हुआ है उसका विमोचन किया गया था। जिसकी बुकिंग चालू हो गई है। जो भी ये सिक्का प्राप्त करना चाहते है कृपया विद्यायतन के विनोद बडजात्या (अध्यक्ष)- 9425252525, मनीष जैन- (महामंत्री) 9425531401 से संपर्क कर प्राप्त कर सकते है |
आचार्य गुरुदेव की प्रभावना के दृष्टिकोण से संपूर्ण भारत में जहाँ – जहाँ स्मृति स्वरुप भारत सरकार के ये सिक्के चाहिये है वह सामुहिक रुप से बैठक आयोजित कर जितने भी सिक्के चाहिये उतनी राशी को बैंक खाते में जमा कर उसका स्क्रीन शॉट भेज देंगे तो आपको डाक द्वारा भेज दिया जाऐगा एक या दो सिक्का लेंने वाले का डाकखर्च अलग लगेगा या डिलेवरी डोंगरगढ़ से लेना होगी। इस अवसर पर चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन, कोषाध्यक्ष सुभाष चंद जैन, महामंत्री निर्मल जैन, मंत्री चंद्रकांत जैन,रीतेश जैन डब्बू,अनिल जैन, जय कुमार जैन, यतिष जैन, सुरेश जैन, अंकित जैन, राजकुमार मोदी , चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या रायपुर, महामंत्री मनीष जैन , निखिल जैन, सोपान जैन, अमित जैन, नरेश जैन जुग्गु भैया, सप्रेम जैन, सहित समस्त पदाधिकारियों उपस्थित थे। उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है|