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‘पहले मुझे इमोशनल ब्लैकमेल किया।’ फिर संयुक्त राष्ट्र में फ़्रॉड का केस करके विनाश करने की कोशिश की। जब मुझे क्लीन चिट मिल गई तो पॉलिटिकल पावर की धौंस दे दी गई। कहा जाता है कि अब मैं न्यूनतम हूं, जो बना कर लो।’
यह कहना है पीएचडी स्कोलर डॉ. का। रोहनी वारीरी ने भीम आर्मी के प्रमुख शेखर आजाद नीके रावण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। वो अब इन आरोपों को लेकर चंद्रशेखर के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। रोहिणी का आरोप है कि पुलिस ने अब तक उनकी एफआईआर नहीं लिखी है। हालाँकि, वकील की सलाह पर वो मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करा रहे हैं।
यह मामला सामने आने के बाद से एक बार फिर से आजाद नील रावण चर्चा में हैं।

आज़ाद हिन्द के पिता गोवर्धनदास शिक्षक थे समाजवादी शिक्षा के सम्राट घर से ही मिले। आज़ाद के दो भाई हैं- बड़े भाई का नाम भरत सिंह और छोटे भाई का नाम कमल किशोर हैं।
स्कूलिंग और कॉलेज के दौरान ही वे दलित अधिकार और सामाजिक न्याय के लिए सक्रिय रहे। कॉलेज समय में ही उन्होंने डॉ. भीमराव सोमनाथ और कांशीराम के विचारों को अपनाना शुरू किया।

चन्द्रशेखर रावण की शुरुआत राजनीतिक वैज्ञानिक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हुई। फिर वो दलित-बहुजन राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरा।
दोस्तों के साथ मिलकर भीम आर्मी ने बनाया
आज़ाद एक साक्षात्कार में लिखा है- ‘साल 2013-14 का वाकया है, जिसमें दलित समुदाय के एक बच्चे का सिर फूटा है। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंच गया, लेकिन पुलिस से कोई मदद नहीं मिली। हम लोग डीआईओएस से लेकर जिलों के शिक्षकों के पास भी मदद करेंगे। कहीं कुछ नहीं हुआ. असल दूसरा पक्ष के लोग हमें ही मारने की तैयारी करने लगे।
तभी हमें लगा कि फ्रैंच मैन का कोई दोस्त नहीं होता। ना पुलिस ना कोई और। कॉलेज की उसी लड़ाई से भीम आर्मी का जन्म हुआ।’
साल 2014 में चन्द्रशेखर रावण ने अपने दोस्तों विनय रतन सिंह और दशरथ कुमार के साथ मिलकर ‘भीम आर्मी – भारत एकता मिशन’ की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य बदमाशों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके खिलाफ होने वाले अत्याचारों के लिए आवाज उठाना था।
‘द ग्रेट चमार’ बोर्ड से पहली बार चर्चा में आए
साल 2015 में आजाद आजाद पहली बार तब चर्चा में आए जब उन्होंने एक गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था, ‘द ग्रेट चमार डॉ. भीमराव अंबेडकर धड़ाम ग्रामकॉली आपका हार्दिक स्वागत है।’

धड़कौली गांव के बाहर लगे के साथ-साथ चंद्रशेखर रावण का फोटो बोर्ड बहुत वायरल हुआ था।
उच्च जाति के लोगों को यह सार्वजनिक रूप से पहचानना पसंद नहीं आया। इसी क्षेत्र में तनाव का जन्म हुआ।
हिंसा हिंसा के बाद राष्ट्रीय पहचान मिली
मई 2017 में उत्तर प्रदेश के जनजातीय जिले के शब्बीरपुर गांव में बदमाशों और ठाकुरों के बीच जातीय संघर्ष और दंगे के दौरान उनकी भूमिका पर सवाल उठे। उन पर हिंसा भड़काने और लोगों को भड़काने के आरोप लगाए गए और उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं।
उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और बाद में इलाहबाद हाईकोर्ट में ज़मानत मुलाक़ात के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लागू कर दिया। इसके तहत उन्हें लगभग 16 महीने तक जेल में रखा गया।
CAA/NRC विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए
चंद्रशेखर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के विरोध में दिल्ली की जामा मस्जिद पर होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। इस विरोध के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और कुछ दिनों के लिए हिरासत में रखा गया।
दंगों और सीएए/एनआरसी के विरोध जैसे सामाजिक समुदायों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद चन्द्रशेखर और उनके समर्थकों ने महसूस किया कि दंगों और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं है सत्य की गलियों में भी जाना जरूरी है।
‘आजाद समाज पार्टी’ बनी
15 मार्च 2020 को चंद्रशेखर ने बहुजन समाज पार्टी से अलग होकर अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना ली। इस पार्टी का नाम ‘आजाद समाज पार्टी’ रखा गया। पार्टी का नाम ‘कांशी राम’ जोड़ा गया।
कांशी राम के नाम को शामिल करने के संस्थापक और दलित-बहुजन राजनीति के बड़े नेता मान्यवर कांशी राम को समर्पित थे और उनकी विरासत को आगे ले जाने का प्रतीक थे।

चंद्रशेखर आज़ाद को प्रतिष्ठित समय के विद्वानों ने वर्ष 2021 में देश के 100 देवताओं की सूची में शामिल किया था।
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ लड़ियाँ चुनाव लड़ रही हैं
चन्द्रशेखर वर्ष 2022 में पहली बार नामांकित मैदान में उतरे। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ी। हालाँकि, वो न केवल चुनाव हारे बल्कि चौथे स्थान पर रहे। उनकी ज़मानत भी ज़ब्त हो गयी थी।
जानलेवा हमले में बाल-बाल बचाव
जून 2023 में उत्तर प्रदेश के देवबंद इलाके में उन पर जानलेवा हमला हुआ। कार सवारों ने अपने बैलगाड़ियों पर गोलियाँ चलाईं जिसमें उन्हें गोलियाँ मारकर निकाल दिया गया। इस हमले ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठे। बाद में उन्हें सरकार द्वारा वाई-प्लस सिगरेट मिली।
नगीना विपक्ष सीट से बने न्यूनतम
साल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल समेत घटक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ केंद्र की खुली सरकार बना दी। हालाँकि, चन्द्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशी राम) इस मूर्ति में शामिल नहीं हुई।
इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की नगीनासोम सीट से चुनाव लड़ा। चुनाव में चन्द्रशेखर की जीत हुई। उन्होंने के ओम कुमार और सपा के मनोज कुमार को हरा दिया। इस जीत पार्टी के लिए एक बड़ी राजनीतिक सफलता और भविष्य की ताकत का संकेत है।
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