डोंगरगढ़ :”विचारों का संक्रमण दिन-रात चलता रहता है यदि विचार सकारात्मक दिशा में आगे बड़ते है तो बातावरण खुशहाल हो जाता है और वही विचार नकारात्मक होने लगते हैं तो जीवन बदहाल हो जाता है|
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” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के समाधि के एक वर्ष पूर्ण होने जा रहे समाधि स्मृति महामहोत्सव में प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये |”
मुनि श्री ने कहा कि “शांत सरोवर में जहाँ पानी गहरा होता है किनारे पर खड़ा कोई व्यक्ती एक कंकर फैंक देता है तो वह शांत सरोवर हिलोरे लेने लगता है तथा इस किनारे से लेकर उस किनारे तक सम्पूर्ण पानी हिल जाता है। जैसे एक कंकर के प्रभाव से ठहरे हुये पानी में हलचल आ जाती है उसी प्रकार समाज में जब कोई विचार, साधना संपन्न साधक विचारों के कंकरों को फैकता है तो समाज का सरोवर भी आंदोलित हो उठता है और उस समाज के विचारों में भी स्पंदन आ जाता है|
मुनि श्री ने कहा कि हमारे गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज ने अपनी ऊर्जा के पचास – पचपन बर्षो तक समाज में दिशा -निर्देशन का अनवरत कार्य किया |
उनके प्रक्षेपित विचारों से यह जो जनमानस तैयार हुआ है वह आज अपार समुद्र के रूप में दिखाई दे रहा है |
उनकी समाधि के एक वर्ष पूर्ण होंने पर जो सामान्य जन श्रद्धालु धर्म के प्रति समर्पित हुये है |
उन्ही में से ही आज इतने महाव्रती, व्रती बनकर इस संसार में सुशोभित हो रहे है|
मुनि श्री ने कहा एक स्थान पर कुम्भकार माटी से चिलम बना रहा था कि अचानक उसका विचार बदल गया उसके मन में विचार आया कि यह चिलम खुद तो जलेगी ही जलेगी साथ ही दूसरों को भी जलाऐगी |
यह विचार आते ही उस कुम्भकार के हाथों में स्पंदन हुआ और वह जो आकार बना रहा था तो देखने वालों ने देखा कि अब मिट्टी से चिलम नहीं बन रही बल्कि उसी मिट्टी से सुंदर मंगल कलश रुपी घट का निर्माण शुरु कर दिया है|
वह मंगल कलश पूजन के काम तो आऐगा ही तथा ग्रीष्म काल में शीतलता भी प्रदान करेगा देखने वाले ने देखा कि अब कुम्भकार चिलम नहीं बल्कि सुंदर सा छोटा घट बना रहा है|
तो उसने कुम्भकार से पूछा तो उसने जवाब दिया कि चिलम बनाते बनाते मेरा विचार बदल गया तो “माटी” के हृदय से आवाज आई और उसने कुम्भकार का आभार प्रकट करते हुये कहा भाई “तेरा तो विचार ही बदला मेरा तो संसार ही बदल गया|
” मुनि श्री ने कहा कि जैसे “कुम्भकार का विचार बदलता है,तो माटी का संसार बदल जाता है” उसी प्रकार हमारे गुरुदेव में भी वही कुम्भकार की कला विद्यमान थी उन्होंने उस “मूकमाटी” की “मूक सत्ता को पहचाना और माटी से मंगल घट बनने की इस यात्रा को कार्य सिद्धांत के रुप में सारी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया |
उसी मूक माटी से “प्रतिभास्थली” निकली, त्यागीव्रती, महाव्रती, संत और श्रमण संघ निकले|
मुनि श्री ने कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि मूकमाटी से ऐसे शिल्पकार के रुप में हमें हमारे गुरूवर मिले|
उन्होंने प्रतिभास्थली की बालिकाओं तथा शिक्षिकाओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि कल जब प्रतिभास्थली की बालिकाओं के द्वारा जो नाटक प्रस्तुत किया गया उसने हम सभी की आंखों में पानी ला दिया उन्होंने कहा कि प्रतिभास्थली की बालिकाओं तथा उनकी शिक्षिकाओं का परिश्रम को देश दुनिया ने अपनी आंखों के सामने देखा उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये लगाकर के भी सरकारी और प्राईवेट विद्यालय चल रहे हैं लेकिन वह अपनी योग्यता का परिचय नहीं दे पाते है |
इतने कम समय में भी गुरूवर की वरदानी छांव तले गुरुवर की करूणा के कल्पवृक्ष के रुप में आज जबलपुर, चंद्रगिरी,रामटेक, ललितपुर,इंदौर, पांच – पांच प्रतिभास्थलियां 100% रिजल्ट दे रही है|
इन्ही के संस्कारों का प्रभाव है कि आज इन्ही प्रतिभास्थलीओं में जो संस्कार दिये जा रहे है उन्ही छात्राओं से ही आर्यिका गुरुमति, दृणमति और आदर्शमति जैसी आर्यिका निकलेंगी तथा आदर्श श्राविका बनकर आहार विहार में सहयोग करेंगी तथा राष्ट्र के लिये इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु जैसी नेतृत्वकर्ता बनेंगी|
दोपहर में आचार्य गुरुदेव की संगीतमय पूजन की गई जिसमें प्रतिभास्थली,पूर्णायू, दयोदय महासंघ तथा दूर दराज के कार्यकर्ताओं ने गुरूदेव के चरणों में अर्घ्य अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर मुनि श्री आगमसागर महाराज, मुनि श्री पुनीत सागर महाराज सहित आर्यिका गुरुमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, सहित समस्त आर्यिका संघ ऐलक श्री धैर्यसागर महाराज, ऐलक श्री निश्चयसागर, ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज मंचासीन थे |
कार्यक्रम का संचालन ऐलक श्री धैर्यसागर महाराज ने किया राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी, प्रचार प्रमुख निशांत जैन डोंगरगढ़ ने बताया इस अवसर पर मुनि श्री समतासागर महाराज के गृहस्थ जीवन के ग्राम नन्ही देवरी से पधारे समस्त अतिथी गण एवं कार्यक्रम स्थल पर सभी के लिये भोजन व्यवस्था के पूण्यार्जक नरेन्द्र जैन गुरुकृपा परिवार रायपुर एवं प्रदीप जैन विश्वपरिवार ने अर्घ्य समर्पित किया तथा नन्ही देवरी मध्यप्रदेश से पधारे मुनि श्री समतासागर महाराज के गृहस्थ जीवन के पिता परिवार जनों का सवई सिंघई सात प्रतिमाधारी राजाराम जी तथा परिवार जनों का अभिनंदन अंग वस्त्र एवं तिलक के साथ चंद्रगिरी ट्रस्ट विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या, चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री किशोर जैन, महामंत्री निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन, अनिल जैन, सप्रेम जैन,निखिल जैन ने किया। कार्यक्रम में दयोदय महासंघ के संरक्षक प्रभात जी मुम्बई, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचन्द प्रेमी कटनी, महामंत्री राकेश जैन लालाजी, कोटा से मनोज जैन आदिनाथ सहित कई गुरुभक्त उपस्थित थे।
इस अवसर पर आचार्य गुरूदेव के कृपापात्र ब्रह्मचारी अनुराग भैया ने कहा कि आचार्य गुरुदेव की कृपा से जेल में चल रहे हथकर्घा के माध्यम से चल रहे प्रकल्पों की जानकारी दी जिसमें गुरूदेव की जीवन उत्थान की ओर दृष्टि गई और आज उन्होंने हथकर्घा और चरखा के माध्यम से मांसाहार तथा मछलीपालन को छोड़कर उन सभी रोजगार उपलव्ध कराया और उनकी सोच से आज सम्पूर्ण भारत की जेलों में हथकर्घा चल रहे है|
उनके उत्पादन को आज 18 राज्यों का उत्पादन कुंडलपुर के माध्यम से वितरण का कार्य किया जा रहा है । यहाँ पर परस्वाहा हथकर्घा केंद्र के अनिल यादव ने अपने विचार प्रकट करते हुये कहा कि आज हथकर्घा के माध्यम से मेरी आजीविका बड़ी। उन्होंने गुरुदेव के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि हम लोग गुरू जी के माध्यम से हथकर्घा का प्रशिक्षण दे रहे है तथा हम लोगों की अजीविका में सुधार हुआ है। कारोपानी हथकर्घा से प्रशिक्षक अर्जुन दास हंसराज डिंडोरी ने कहा कि आज यह जो मै आपके सामने खड़ा हुआ हूं वह गुरुदेव की ही कृपा है। “बूंद – बूंद के मिलन से जल में गति आ जाऐ” “सरिता बन आगे बड़े सागर बूंद समाये” आज हम जैसे छोटे – छोटे लोगों को चरखा के माध्यम से गुरुदेव ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया|
कार्यक्रम को विधानाचार्य धीरजभैया राहतगड़, संजीव भैया कटंगी,मनोज भैया जबलपुर ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के 512 अर्घ्य समर्पित कराये। आगे 1024 अर्घ्य समर्पित किये जाऐंगे कार्यक्रम में ब्र. रेखा दीदी पूर्व डी. एस. पी. सागर एवं वर्तमान में सागर जेल में हथकर्घा चला रही है|
उन्होंने बंदिओं के द्वारा चलाये जा रहे अनुभवों को भी सुनाया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक और जजों ने भी अपने अनुभव सुनाये। प्रतिभास्थली चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के 2024 बारहवी पास आउट छात्राओ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे 18 छात्राओ ने अपनी कविता प्रस्तुत की जिसमे उन्होंने अपने गुरु संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी और शिक्षिका ब्रह्मचारिणी दिदिओं का आभार व्यक्त किया जिससे उपस्थित श्रोताओं का ह्रदय विभोर हो गया |
आज प्रातः 7 बजे मंगलाष्टक, भगवान का अभिषेक, पूजन, आरती, विधान हुआ |
9 बजे महाराज जी का प्रवचन हुआ तत्पश्चात मुनि आर्यिका संघ का आहार हुआ|
दोपहर में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी कि भव्य महापूजा एवं महाआरती होगी जिसमे बाहर से आये उनके भक्तों के द्वारा अष्ट द्रव्य से अर्घ्य समर्पण किया जायेगा|
शाम को भगवान के समवशरण में संगीतमय आरती होगी |
रात्रि 8 बजे से “अंतर्यात्री महापुरुष” नामक फीचर फिल्म दिखाई जाएगी |
उक्त कार्यक्रम में जैन समाज के एवं अन्य समाज के लोग सम्पूर्ण छत्तीसढ़ एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों से अपने गुरुवर के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव में शामिल हुए |
उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है|