4.6 C
New York

Climate crisis is ruining the future of children | क्लाइमेट क्राइसिस से बिगड़ रही बच्चों की पढ़ाई: एक साल में 5 करोड़ भारतीय बच्‍चे प्रभावित, पानी भरने के लिए स्कूल छोड़ रही लड़कियां

Published:


6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

यूनिसेफ की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ एक साल यानी साल 2024 में देश में 5.4 करोड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई। वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो वहां क्लाईमेट क्राइसिस के कारण 2.6 करोड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा।

इस समस्या का सबसे बुरा मतलब लड़कियों पर आधारित है जिसमें पढ़ाई छोड़नी, कम उम्र में शादी करना और पढ़ाई लिखाई शामिल है।

रिपोर्ट से साफ है कि देश के किसी भी हिस्से में सूखा या जहरीला पदार्थ, दाना, केवल क्लिमट क्राइसिस नहीं बचा है। इससे जुड़ी शिक्षा में खुलासा-स्पेस जैसी स्थिति भी बताई गई है। एक समय पर क्लाईमेट क्राइसिस को इकोनोमी के लिए खराब माना गया था लेकिन अब इस देश के भविष्य पर भी नजर आ रही है।

भारत में गर्मी का असर सबसे बुरा

2021 में यूनिसेफ ने चिल्ड्रन्स क्लाइमेट रिस्क स्टॉक जारी किया था। 163 देशों में भारत 26वें स्थान पर था।

भारतीय बच्चों की पढ़ाई को सबसे ज्यादा नुकसान हीटवेव के कारण हुआ है। अप्रैल 2024 में उत्तर-प्रदेश, बिहार, राजस्थान और दिल्ली में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया, जिसकी वजह से किसानों की छुट्टियां बढ़ीं।

रिपोर्ट के अनुसार गर्मी से न सिर्फ स्कूल बंद होते हैं बल्कि इससे बच्चों की कॉग्निटिका कैपेसिटी, याददाश्त बनाए रखने की क्षमता, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इससे बच्चों की सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है।

संयुक्त राष्ट्र में जहां लैंगिंग भेदभाव, गरीबी और आर्किटेक्चर से संबंधित कमियां हैं, वहां क्लिनिक संकट से और खराब स्थिति में है।

यूनिसेफ का कहना है कि भारत के विद्वानों का स्मारक क्राइसिस का सामना करने के लिए भी तैयार नहीं है। कई ग्रामीण इलाकों में कूलिंग सिस्टम, वेंटिलेशन की व्यवस्था और सफ़ा-सुथरा पीने का पानी नहीं है। जब स्कूल लंबे समय तक बंद रहता है तो इसका सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। मिड-डे मील और सामाजिक सुरक्षा के लिए आवेदकों को ऐसे ही उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है।

पढ़ाई में तेजी और होनहार बच्चे भी ऐसे में स्कूल छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।

सबसे पहले छुड़वाया जाता है गर्ल्स स्कूल

क्लाईमेट क्राइसिस की वजह से लैंगिक भेदभाव बढ़ता है जिसकी वजह से लड़कियों को घरेलू काम में लगाया जाता है। इससे उनके स्कूल में छूट मिल जाती है और जल्दी शादी होने की संभावना बढ़ जाती है।

मलाला फंड के अनुमान के मुताबिक, क्लाइमेट क्राइसिस की वजह से देश में 30 क्लाइमेट-वैलनर के 12.5 मिलियन लड़कियां बीच में ही स्कूल छोड़ सकती हैं। भारत के ग्रामीण इलाके यहां फिट कर्मचारी हैं।

एएफपी ने हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके लिए महाराष्ट्र के नासिक और नंदुरबार जिलों की लड़कियों के बारे में बात की गई। 17 साल की रामती मंगला हर सुबह सबसे पहले अपना स्टील का मटका पानी लेने के लिए घर से निकल जाती हैं।

कई किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा वो आस-पडोस की दूसरी महिलाओं के साथ पैर ही तय करती हैं। जब तक वो पानी स्टार लौट आते हैं, स्कूल का समय निकल जाता है। वो कहते हैं, ‘मैंने अपनी किताबें रख ली हैं, लेकिन क्या मैं कभी स्कूल वापस जा पाऊंगा?’

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस इलाके में लगभग 2 मिलियन लोग हर दिन पानी की कमी से दो-चार होते हैं। जब बारिश नहीं होती और समुद्री डाकू निकलते हैं तो इलाके के लोग काम की तलाश में पलायन कर जाते हैं।

पीछे छूटी लड़कियों को ही पानी इकट्ठा करने का काम करना पड़ता है जिससे सीधे तौर पर उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। रेसलरों ने भी कहा कि आजकल लड़कियों की अटेंडेंस बहुत तेजी से गिरती है।

—————-

ऐसी ही और खबरें पढ़ें…

छत्तीसगढ़ में टीचर का गलत अंग्रेजी वीडियो वायरल:नोज (नाक) को नोगे ने लिखा, टीचर सस्पेंड; स्कूल में दो ही टीचर, एक गलती वाला, दूसरी शराबी

छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी पढ़ रहे एक टीचर का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में टीचर किड्स अंग्रेजी केस्क्री शब्द गलत पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शिक्षक को निलंबित कर दिया है। पूरी खबर पढ़ें….

खबरें और भी हैं…



Source link

Related articles

spot_img

Recent articles

spot_img