डोंगरगढ़ – छत्तीसगढ़ लोधी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता विष्णु लोधी ने प्रदेश सरकार की नीतियों पर गहरी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि अब समय आ गया है जब जनहित में ऊपर उठकर सरकार से सीधे सवाल पूछे जाएं – आखिर जनता के प्रति उसकी जवाबदेही क्या है?
एक ओर:
सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि प्रदेश में 67 नई शराब दुकानें खोली जाएंगी, जिससे अब इनकी कुल संख्या 741 हो जाएगी। यह निर्णय उस वक्त लिया जा रहा है जब पहले ही 12 हजार करोड़ का राजस्व शराब से अर्जित किया जा रहा है।
दूसरी ओर:
वहीं दूसरी तरफ, प्रदेश में करीब 4000 सरकारी स्कूल बंद किए जा रहे हैं, 35,000 शिक्षकों के पद समाप्त किए जा रहे हैं, और लगभग 54,000 शिक्षक पद पहले से ही रिक्त पड़े हैं।
विष्णु लोधी ने कहा:
“क्या यह दोहरी नीति नहीं कि एक तरफ समाज को नशे में डुबोया जा रहा है और दूसरी तरफ शिक्षा का उजियारा बुझाया जा रहा है?
अगर स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है तो यह जानना जरूरी है कि ऐसा क्यों हुआ – क्या सरकार की लापरवाही और अव्यवस्था इसकी वजह नहीं?” “अगर सरकारी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई है तो इसका मूल कारण जानना आवश्यक है। स्कूल बंद करना समाधान नहीं, यह समस्या से पलायन है” ।
उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं, शिक्षक, पुस्तकें और आधारभूत सुविधाएं देने की जिम्मेदारी सरकार की है क्या इससे भागना नैतिक रूप से उचित है? और स्वच्छ वातावरण नहीं मिलेंगे, तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि गरीब और ग्रामीण बच्चे वहीं पढ़ाई करें? ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की ओर झुकाव स्वाभाविक है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि –
क्या सरकार सच में चाहती है कि शिक्षा निजी हाथों में चली जाए और गरीब बच्चे पीछे छूट जाएं?
क्या यह सरकार की सफलता नहीं है कि बच्चों के माता-पिता प्राइवेट स्कूलों की और अधिकार कर सकते हैं सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति और आधारभूत सुविधाएं देने लगे सरकार के लिए क्या मांगना नैतिक रूप से उचित है?
क्या यह सरकार की रणनीति है कि सरकारी स्कूलों को धीरे-धीरे बंद कर प्राइवेट संस्थानों को बढ़ावा दिया जाए? अगर ऐसा है तो यहां नीति आम जनता के बच्चों के साथ अन्याय है क्योंकि हर नागरिक को सामान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार है चाहे वह अमीर हो या गरीब।क्या यह शिक्षा का निजीकरण और समाज का मुनाफाकरण नहीं?
जनहित में विष्णु लोधी की माँगें:
- 67 नई शराब दुकानों की योजना पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- 4000 स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया को रद्द किया जाए।
- 54,000 रिक्त शिक्षक पदों की शीघ्र भर्ती हो।
- सरकारी शिक्षा को प्रोत्साहन देने हेतु विशेष बजट घोषित किया जाए।
- शराब नियंत्रण की पारदर्शी और सामाजिक जिम्मेदारी आधारित नीति बने।
विष्णु लोधी ने भावुक शब्दों में कहा:
“हमारे बच्चों को किताब चाहिए, बोतल नहीं।
स्कूल की घंटी बंद और शराब की दुकान चालू – यह कैसी सोच है?
अगर सरकार वाकई जनता की है, तो उसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना चाहिए, न कि उसे नशे में डुबो देना चाहिए।”
जनता यह जानना चाहती है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है – राजस्व या राष्ट्र निर्माण?
शिक्षा या शराब?
किताब या कमाई?
जनहित में ऊपर उठकर यह पूछना जरूरी हो गया है – आखिर सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति कब और कैसे सुनिश्चित होगी?