डोंगरगढ़ : रूढ़िवादी परंपराओं के कारण मुनिराजों के आहार, विहार तथा भगवान के अभिषेक एवं पूजा पाठ में युवा वर्ग कोई रूचि नहीं लेते थे|
वह समझते थे कि उम्र दराज होंने पर ही दीक्षा ली जाती है लेकिन आचार्य गुरूदेव विद्यासागरजी महामुनिराज ने उच्च शिक्षा प्राप्त बाल ब्रहम्चारीओं तथा युवा वैरागियों को अच्छे तरह से शिक्षित किया और उनको वैरागी बनाया परिणाम यह निकला कि आज संघ में 104 उच्च शिक्षित,शिक्षित मुनि तथा तीन सौ से अधिक आर्यिका माताजी एवं ब्रहम्चारी दीदीयां एवं युवा ब्रहम्चारिओं की एक बहुत बड़ी टीम आचार्य गुरुदेव के आकृषण से दीक्षित हुई है तथा वर्तमान में आचार्य गुरूदेव समयसागर जी महाराज से कई बाल ब्र. भैया दीक्षा हेतु आतुर है।
गुरुदेव के जीवन में अनुशासन भी था और करुणा भी थी वह कभी डराते नहीं थे लेकिन उनकी एक नजर ही डाट का काम करती थी शीशी और शिष्य में डाट लगाना जरूरी है। लेकिन डाट ऐसी लगाओ कि ज्यादा कसना न पड़े ज्यादा कसने से डाट का असर खतम हो जाता है।
आचार्य श्री ने कभी भी किसी को रोका – टोका नही लेकिन उनकी नजरों का ही इतना भय रहता था कि कोई गल्ती न हो जाऐ इस बात का हमेशा सभी शिष्य ध्यान रखते थे।
इस अवसर पर निर्यापक श्रमण वीर सागर महाराज ने सम्वोधित करते हुये कहा जिनधर्म को पहचान दिलाने वाले बड़े बाबा को पहचान दिलाने वाले आचार्य गुरूदेव विद्यासागर|
आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज के अष्टधातु के चरण जिनकी प्रतिष्ठा आचार्य गुरूदेव श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि स्थल चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र पर की गयी है प्रतिदिन चरणों का अभिषेक एवं जाप अनुष्ठान जारी है|
आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज के पट्टाचार्य 108 आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के आशीर्वाद से निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज, मुनि श्री पवित्रसागर सागर महाराज, निर्यापक श्रमण वीरसागर महाराज, मुनि श्री आगमसागर महाराज, मुनि श्री पुनीत सागर महाराज, ऐलक श्री निश्चयसागर महाराज, ऐलक श्री धैर्यसागर महाराज, ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज, ऐलक श्री स्वागत सागर महाराज सहित आर्यिकारत्न गुरुमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्शमति माताजी के साथ लगभग 90 आर्यिकाओं के साथ क्षुल्लक एवं ब्रहम्चारी भाईओं एवं सेंकड़ों की संख्या में पांचो प्रतिभास्थली जबलपुर, ललितपुर, चंद्रगिरी, इंदौर,तथा रामटेक की बहनें मंत्रोच्चारण के साथ शुद्ध वस्त्रों में समाधिस्थल पर परिक्रमा के साथ जाप कर रही है। उपरोक्त चरण को शुद्ध वस्त्रों के साथ प्रतिदिन चंद्रगिरी में समाधिस्थल पर स्थापित किया गया है तथा प्रतिदिन चरणों का जलाभिषेक किया जा रहा है। विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या लाभांडी रायपुर एवं महामंत्री मनीष जैन रायपुर सहित समस्त पदाधिकारियों ने अपील की है कि गुरु मंदिर में ज्यादा से ज्यादा अपने दान की राशी जमा करायें। प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्र के प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया कि आचार्य गुरुदेव की समाधि स्थल पर चरणों का अभिषेक एवं परिक्रमा कर श्रद्धालु मन वांछित लाभ उठा रहे है। 126 फुट x 126 फुट, 54 फुट ऊंचा समाधि स्मारक बनाया जा रहा है | जो कि जैसलमेर के पीले पाषाण से निर्मित होगा। जिसका सिलान्यास भारत के गृहमंत्री अमितशाह एवं गुरुदेव के परमभक्त एवं भामाशाह श्री अशोक पाटनी जी द्वारा दिनांक 6 फरवरी को किया जा चुका है एवं भारत के प्रमुख नगरों तथा जिनालयों एवं क्षेत्रों पर इस सदी के महान संत आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज के चरण स्थापित किये जाने की योजना है। प्रथम चरण में 108 चरण प्रतिष्ठित कराकर विभिन्न नगरों में भेजे जा चुके है एवं जिन महानुभावों ने अपनी स्वीकृति एवं राशी जमा करा दी है उनको चरणों का आबंटन जारी है। इसके साथ आप व्यक्तिगत रुप से भी “विद्यायतन” में अपना दान भेजना चाहते है तो वह समाधि स्थल के खाता क्र.
Acc Name : SHRI DJCTKT VIDYASAGAR SAMADHI STHALI DG Ac No : 99911008108105 IFSC CODE : HDFC0000919 BANK NAME : HDFC BANK RAJNANDGAON में जमा करके उसकी सूचना+91 89826 28108 पर वाट्सएप करें जिससे आपको प्राप्ति रसीद भेजी जा सके।
निर्यापक श्रमण वीर सागर महाराज ने सम्वोधित करते हुये कहा किसी भी शिष्य से पुछो तो वह अपने गुरु को दुनिया का सबसे महान व्यक्ति बताऐगा| मुनि श्री ने कहा कि आचार्य कुंद कुंद भगवान यदि मोक्षमार्ग को नहीं दिखाते तो आज हम अंधकार में भटक रहे होते आज जिनधर्म को पहचान दिलाने वाले,बड़े बाबा को पहचान दिलाने वाले आचार्य गुरूदेव विद्यासागर महाराज हुये। उनके चरण जिधर पड़ते थे वह स्थान पूज्य और पवित्र हो जाता था। राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख निशांत जैन निशु ने उपरोक्त जानकारी देते हुये बताया कि प्रतिदिन आचार्य श्री की समाधि स्थल पर तीर्थयात्रियों के आने का सिलसिला जारी है। क्षेत्र पर मुनि श्री पवित्रसागर जी,मुनि श्री आगमसागर जी,मुनि श्री पुनीतसागर जी,ऐलक श्री निश्चयसागर जी ऐलक श्री धैर्य सागर जी ऐलक श्री निजानंद सागर जी,स्वागत सागर जी सहित समस्त क्षुल्लक गण एवं आर्यिकारत्न गुरूमति माताजी,आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्शमति माताजी संघ सहित विराजमान है।आज भगवान चंद्रप्रभु का केवल्यज्ञान कल्याणक है एवं भगवान सुपार्श्वनाथ का मोक्षकल्याणक की पूजा की गई एवं निर्वाण लाडू समर्पित किया गया।कार्यक्रम के शुभारंभ में आचार्य श्री के चित्र पर दीप प्रज्वलन चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या रायपुर, महामंत्री मनीष जैन , निखिल जैन, सोपान जैन, अमित जैन, नरेश जैन जुग्गु भैया, सप्रेम जैन,चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन, सुभाष चंद जैन, निर्मल जैन,मंत्री चंद्रकांत जैन,रीतेश जैन डब्बू,अनिल जैन, जय कुमार जैन, यतिष जैन, राजकुमार मोदी सहित समस्त पदाधिकारियों ने किया।उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है|