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प्रमोद कृष्णम बोले- राहुल राममंदिर पर फैसला पलटना चाहते हैं:करीबियों से कहा था- सरकार बनी तो शाह बानो केस की तर्ज पर फैसला पलटेंगे

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पूर्व कांग्रेस नेता मास्टर रामकृष्ण राम ने राहुल गांधी पर लगाया बड़ा आरोप। उन्होंने कहा, ‘जब राम मंदिर का फैसला आया तो राहुल गांधी ने अपने करीबियों के साथ बैठक की थी. कांग्रेस सरकार बनने के बाद उन्होंने कहा कि वह एक सुपर पावर कमेटी हैं। राम मंदिर के फैसले को वैसे ही पलट दिया गया, जैसे राजीव गांधी ने शाह बानो के फैसले को पलट दिया था।’ राम कृष्णम ने कहा, ‘राहुल गांधी और उनकी टीम देश को किसी न किसी से तोड़ना चाहती है। पहले की कांग्रेस और वर्तमान कांग्रेस में काफी फर्क है। मैं कांग्रेस में 32 साल से ज्यादा समय तक रह रहा हूं। ‘कांग्रेस बड़ी पार्टी है।’ ‘वर्तमान में कांग्रेस देश को तोड़ना चाहती है’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी की जब स्थापना हुई थी तो देशभक्त नेता थे। उस वक्त की कांग्रेस ने देश को जोड़ने का काम किया। महात्मा गांधी और नेहरू जी ने भारत को जोड़ने का काम किया। वर्तमान कांग्रेस देश को तोड़ना चाहती है। राहुल गांधी और उनकी टीम देश को जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर तोड़ने में लगी है। इसलिए वह गलत बयानबाजी कर रहे हैं।’ ‘मंदिर जाने से कोई हिंदू नहीं बन सकता’ जो ईसा मसीह में विश्वास नहीं करता, वह ईसाई नहीं हो सकता। इसी तरह, जो भगवान राम से घृणा करता है, वह हिंदू नहीं हो सकता। कृष्णम के अनुसार, दुनिया ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण को रोकने के प्रयास ने सनातन धर्म में विश्वास करने वालों की भावनाएं पैदा की हैं। इस तथ्य पर कोई पर्दा नहीं है कि भगवान राम किसे प्यार करते हैं या किसे नापसंद करते हैं।’ कृष्णम ने कांग्रेस से दो बार विपक्ष चुनाव रामकृष्णम (59) मूल रूप से संभल के गांव ऐचोड़ा कंबोह के रहने वाले हैं। ग़ाज़ियाबाद और दिल्ली में रहते हैं। कांग्रेस ने साल 2014 में संभल और 2019 में लखनऊ से गठबंधन बनाया था। संभल में 2014 में मोदी लहर में 16034 वोट मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में राम कृष्णम को 1 लाख 80 हजार 11 वोट मिले। क्या है शाह बानो केस 1932 में शाह बानो के वकील मोहम्मद अहमद खान की हत्या हुई थी। लगभग 14 साल बाद अहमद खान ने दूसरा तलाक लिया। 1978 में अहमद खान ने शाह बानो को तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया और घर से बेदखल कर दिया। तब खान ने शाह बानो से वादा किया था कि वो गुजराती से हर महीने 200 रुपये मांगेंगे, लेकिन कुछ ही महीने बाद वो मुकर गए। केस वकील की एक अदालत में पहुंचा और शाह बानो ने गुजराती भाई के लिए 500 रुपये महीने की मांग की। बख़्तरबंद वकील अहमद खान ने अदालत में मुस्लिम पर्सनल लॉ का आरोप लगाया और कहा कि वह गुजरात सरकार को ऋण देने के लिए बाध्य नहीं हैं। कोर्ट ने इस डील को तो खारिज कर दिया, लेकिन शाह बानो को 20 रुपये की प्रतिमा के साथ गुजरात सरकार की मंजूरी का फैसला सुनाया। ये काफी कम था. इसके बाद 62 साल की शाह बानो ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने 1980 में अपना फैसला सुनाया और गुजराता की ओर से 20 रुपये से 179 रुपये की प्रतिमाह कर दिया। बानो के पति अहमद खान के खिलाफ इस फैसले के शाह ने सर्वोच्च न्यायालय में शिलालेख लगाया। 1985 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए शाह बानो के पक्ष में फैसला सुनाया। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में पासपोर्ट जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया। 1986 में राजीव गांधी सरकार में मुस्लिम महिला (अधिकार और अधिकार संरक्षण) स्टॉक लेकर आई। इस सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय शून्य हो गया। इसके बाद विवाह मामले में फिर से शरीयत कानून लागू किया गया।



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