‘हिंदी दिवस’ पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि हिंदी मित्र है।
जैसा कि रिपोर्ट किया गया एएनआईअमित शाह ने कहा, “इस वर्ष का ‘हिंदी दिवस’ हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 14 सितंबर 1946 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और हम इस वर्ष राजभाषा की हीरक जयंती मनाने जा रहे हैं। राजभाषा के लिए और हमारे सभी राज्यों की भाषाओं के लिए हिंदी बहुत महत्वपूर्ण रही है।”
शाह ने कहा, “हिंदी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की मित्र है। चाहे वह गुजराती हो, मराठी हो या तेलुगु, हर भाषा हिंदी को ताकत देती है और हिंदी हर भाषा को ताकत देती है।”
शाह ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में भाषण देकर दुनिया के सामने हिंदी के महत्व को रखा है और हमारे देश में अपनी भाषाओं के प्रति रुचि भी बढ़ाई है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल भी ला रहा है, जिसके माध्यम से चाहे वह पत्र हो या भाषण, हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके बहुत ही कम समय में उसका सभी भाषाओं में अनुवाद कर सकेंगे।”
14 सितंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। 1953 से 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इससे पहले, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को ‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि हिंदी राष्ट्र की संस्कृति, भावनाओं, आकांक्षाओं और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘इस अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिन्दी हमारी संस्कृति, भावनाओं, आकांक्षाओं और आदर्शों का प्रतीक है।’’
सीएम धामी ने कहा, “किसी भी देश की भाषा उसकी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने में मदद करती है। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान भी है। हिंदी देश की एकता और अखंडता का आधार भी है। यह एक सतत अनुष्ठान भी है जो हमें हमारी परंपराओं और हमारी विरासत से अवगत कराता है।”