4 घंटे पहले
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘गो हैंग योरसेल्फ’ के लिए स्टूडियो में जाकर उकसाने वाला बयान नहीं दिया जा सकता है।
जस्टिस एम नागा अनाचा ने उडुपी के एक पादरी की दुकान के मामले में ये बात कही। मामले में पादरी पर पादरी पर ‘गो हैंग योरसेल्फ’ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था।
पादरी के दादा की पत्नी के साथ कथित संबंध थे
मामले में बचाव पक्ष का कहना था कि दादा के अपनी पत्नी और पादरी के बीच कथित संबंध होने का पता चला था। किस रॉकेट ने परमाणु में गियान पादरी के लिए ये शब्द कहे थे।
दादाजी का कहना है कि पादरी ने आत्महत्या का फैसला सुनाया था, यह बयान नहीं बल्कि लोगों पर कथित संबंध के बारे में पता चला था।
दूसरी तरफ पादरी का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि आम व्यक्ति ने लोगों के सामने मामले का खुलासा करने की धमकी देते हुए आत्महत्या करने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने मैरीन साइकोलॉजी के भाग के बारे में बताया
हालांकि हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले को देखते हुए इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ इस तरीके के बयान से आत्महत्या को बड़ा कदम उठाने का कारण नहीं बनाया जा सकता है।
साथ ही कोर्ट ने आत्महत्या के पीछे कई बातें कही, जिसमें सबसे बड़ा कारण अवैध संबंध शामिल पाया गया।
उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य में जीव जंतुओं का जमावड़ा था, उस स्थिति में इस तरह का दावा करना मैहरन साइकोलॉजी का हिस्सा है। ऐसे में ‘खुद को फांसी दे दो’ को आत्महत्या का कारण नहीं माना जा सकता।
उच्च न्यायालय ने इस बयान को मानव व्यवहार का हिस्सा और घटना से प्रेरित मानते हुए मामले को रद्द कर दिया।
कोर्ट सुप्रीम बोला- बिना रैलियों के हिंदू विवाह मणी नहीं; ये नाचने-गाने और खाने-पीने का इवेंट नहीं
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह में नाचने-गाने या खाने-पीने का कोई मौका नहीं है। न ये कोई व्यावसायिक लेन-देन है। जब तक समारोहों में कोई भूमिका नहीं निभाई जाती, तब तक इसे हिंदू प्रतिष्ठा अधिनियम के तहत वैध नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति बीवी नागात्ना और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार और एक धार्मिक उत्सव है, जिसे भारतीय समाज के अहम संस्थान का दर्जा दिया जाना जरूरी है। पूरी खबर पढ़ें…
पत्नी की आत्महत्या के लिए पति जिम्मेदार नहीं; 30 साल पुराने केस पर फैसला, SC ने कहा- आत्महत्या के लिए उकसाने का सबूत जरूरी
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सुप्रीम कोर्ट ने रविवार (28 फरवरी) को 30 साल पुराने केस में फैसला सुनाते हुए कहा, पत्नी की आत्महत्या के लिए पति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पूर्वी कोर्ट में पति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 306 ए के तहत ऐसे मामलों में पति के खिलाफ या राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर सबूत होना जरूरी है। जिसके बाद कोर्ट ने पति को दफना दिया। पूरी खबर पढ़ें…