नई दिल्ली14 मिनट पहले
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3 मई को राजधानी दिल्ली के सचिवालय में पर्यटकों के लिए आयोडीन-टोसिन हार्मोन के उपयोग पर राज्य सरकार को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस जस्टिस और जस्टिस मनमीत पतित सिंह अरोरा की बेंच ने कहा- आयोडीनटोसिन का उपयोग मध्य प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। जो पशु वध अधिनियम 1960 की धारा 12 के अंतर्गत एक अपराध है।
अदालत ने दिल्ली सरकार के कृषि विभाग को साप्ताहिक निरीक्षण करने और संबंधित संपत्तियों के पंजीकरण के आदेश नीचे दिए हैं। साथ ही पुलिस को नकली आयोडीनटोसिन का मूल पता और एक्शन फिल्म का ऑर्डर दिया गया है।

नाममात्र का स्थान सुरक्षित स्थान पर रखा गया
बेंच की दिल्ली नामांकित कंपनी में अलग-अलग फर्मों के उल्लंघन का आरोप वाली एक याचिका पर सुनवाई हो रही है, जिसमें सुनयना सिब्बल, अशर जेसुदास और अक्षिता कुकरेजा ने हिस्सा लिया है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए दस्तावेज़ में एक सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरण करने की मांग भी जोरों पर दी गई है।
अगली सुनवाई में अधिकारी शामिल होने का आदेश
ट्रेडमार्क की मांग को अदालत ने स्वीकार करते हुए संबंधित अधिकारियों के निर्देश जारी करने के अधिकार पर रोक लगा दी है। साथ ही नगर निकाय, चिकित्सा विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के पशु अधिकारियों को 8 मई को होने वाली सुनवाई में शामिल करने के आदेश दिए गए हैं।
कोर्ट ने अधिकारियों से बेंचमार्किंग के लिए रॉकस्टार की खोज की और इस प्रक्रिया में सामुद्रिक सहयोग की बात कही है।
इससे पहले मार्च 2023 में भी उच्च न्यायालय ने राजधानी के नौ नामांकित भवनों के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर का गठन किया था। न्यायालय आयुक्त नेनोडायटोसिन के बड़े पैमाने पर उपयोग का पता लगाया था।
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