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Cooler की घास बदलते समय रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी AC जैसी ठंडी हवा

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कूलर ग्रास- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: फ़ाइल
ठंडी घास

गर्मियां शुरू हो गई हैं और इससे बचने के लिए लोग अपने घरों में एसी और लैपटॉप प्लांट लगा रहे हैं। पूरे उत्तर भारत में जिस तरह से हीट गार्डन है, केवल पंजाब में गुजराता होना मुश्किल है। एसी की तरह ही कूलर की भी हर साल जरूरत होती है। चॉकलेट की घास को समय-समय पर बदला जाना चाहिए ताकि उन्मुक्त हवा मिल सके और कमरे ठंडा रह सकें। इस समय बाजार में दो तरह के शेयर बाजार हैं। एक को आप इंदौर में इस्तेमाल करने के लिए प्लेसमेंट करते हैं और दूसरा लेकेजिनेट होता है, जिसे हम अपने कमरे की खिड़की पर कास्ट करते हैं।

इंदौर में इस्तेमाल होने वाले जाने वाले रॉकेट में हनी कॉम्ब की बनी हुई चीजें मिलती हैं, जो आम तौर पर कागज की लुगड़ी में सोलो कैमिकल की बनी होती हैं। इन जेलों को जल्दी बदलने की जरूरत नहीं है। ये 2 से 3 साल तक आसानी से चलते हैं। इसके अलावा, टोकन में प्लांट जाने वाले टोकन में खास की घास का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे हर सीजन में बदलाव होना चाहिए ताकि आप स्टॉक में रह सकें। यह बाजार घास में 100 रुपये प्रति रेंज में आसानी से मिल जाता है।

इन बातों का ध्यान

  • समय रहते आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि यह शरीर को पूरा कवर करे। अगर, घास शरीर को पूरा कवर नहीं करना चाहेगी तो पानी का प्रवाह बाधित नहीं होगा, जिससे पूरा घास नहीं भरेगा और खाली हवा नहीं मिलेगी।
  • यह भी ध्यान रखें कि उनका पूरा फैलाव शरीर में एक जैसा रहा है। चूँकि यदि घास की परत कहीं मोटी और कहीं पाई जाती है, तो भी वह सही से नहीं उगती है।
  • इस बात का भी ध्यान रखें कि आपकी हवा आसानी से आर-पार हो सके। ज्यादा मोटी घास से भी हवा आसानी से आर-पार नहीं होगी और वह कूलिंग नहीं चाहेगी।
  • इसके अलावा प्लास्टिक में लगे पंप से आने वाले पानी का फ़्लो भी जांच लें ताकि घास पर हर जगह से सही मात्रा में पानी गिर सके। इससे घास खराब नहीं होगी और आपको वन्यजीवन स्टॉक में रहना होगा।





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