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- मणिपुर हिंसा का एक साल| 200 से ज्यादा लोग मारे गए, 58 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए
इन्फाल1 घंटा पहलेलेखक: डी.कुमार, फुलएयरएटीएम केनी देवी
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
ये तस्वीरें पिछले चार महीने से जारी हिंसा की अलग-अलग घटनाओं की हैं।
मुख्यधारा में जारी जातीय हिंसा को आज एक साल पूरा हो गया है, लेकिन एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच हिंसा जारी है। पिछले साल 3 मई से शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, 58 हजार से अधिक नामांकित लोग राहत शिविरों में राहत शिविरों में रह रहे हैं।
राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब है कि राज्य के मुख्यमंत्री भी पिछले एक साल में कूकी-जोमी जिले में जानमाल के नुकसान का पता नहीं लगा पाए हैं। यहां समाज बाकि लोग हैं। ऑफ़र हो या हॉस्पिटल, कहीं भी सरकारी सिस्टम नहीं बचा है। सरकार के सरकुल के बावजूद सरकारी कर्मचारियों से कर्मचारी गायब हैं। कुकी बहुल समुच्चय हो या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जायेंगे। पूरे राज्य में दो विचारधाराएं हैं।
स्थिति यह है कि कुकी-जोमी जनजाति के लोग अब इंफाल घाटी में कोई जोखिम नहीं रखते हैं, जबकि पहाड़ों में बसे मैतेई लोगों ने अपना घर-जमीन बेटियों को छोड़ दिया है। मठों के कुल 16 पुर्तगालियों में कुकी जनजातियां मुख्य रूप से चूड़ाचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, फेरजोल और टेंगनापाल पुर्तगालियों के दक्षिणी हिस्सों में रहती हैं। इसके अलावा, इंफाल घाटी के बिष्णुपुर, थौबल, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम में मैतेई का बाज़ार है।
आतंकवादियों ने गुरुवार को चुराचांदपुर के सालबुंग गांव में स्थित उग्रवादी संगठन के सदस्यों को लूट लिया। एक अधिकारी के अनुसार घटना दोपहर 2 बजे की है। अभी इस सुइक्रोमैटिक डकैती की जांच जारी है।
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यह वकील हिंसा की 11 जून 2023 की तस्वीरें हैं। कुकी समुदाय के घर जलते हुए दिख रहे हैं।
चूड़ाचांदपुर: साढ़े तीन लाख लोगों का एक सरकारी अस्पताल का हाल
चूड़ाचांदपुर में रहने वाले जे. बाइटे (बदला हुआ नाम) प्रबल से शिक्षक है, वो कहते हैं कि करीब साढ़े तीन लाख आबादी वाले चूड़ाचांदपुर में सिर्फ एक सरकारी अस्पताल है। अगर इलाज नहीं होता तो लोगों को आइजोल जाना पड़ता है। जो साढ़े तीन सौ किमी की दूरी पर है, और प्राइवेट ट्रेन से यहां पहुंचने में 8 से 10 घंटे का समय लगता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों का आइज़ोल तक पहुंचना बहुत मुश्किल है।
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लैंगोल रिलीफ कैंप: इंफाल के आसा-पासा के गंतव्य में रिलीफ कैंप में लोग ऐसे हैं, जो पुराने आतंकियों से पीड़ित हैं, उनके पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होने के कारण पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है।
चिंता: लोगों के पास काम नहीं और बेरोजगारों की नौकरियाँ हो गईं
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हिंसा से वाराणसी को काफी नुकसान हुआ है। हिंसा से पहले 30 हजार से ज्यादा कुकी लोग इंफाल में बसे थे। उनके पक्के मकान थे, नोट थे लेकिन हिंसा में छोटे जलकर राख हो गए। ठीक है इतनी ही संख्या में मैतेई लोगों को तीसरा गंवाना पड़ गया। जो लोग अपनी रोज़ की दिहाड़ी से खर्चा करते थे उनकी कमर टूट गई है। उनके पास काम नहीं है और नीदर की कीमत की कीमतें हो गई हैं।
दर्द: राहत शिविरों में रह रहे बेरोजगारी का खर्च उठाने में कोई असमर्थता नहीं
सबसे बड़ी चुनौती पुरानी बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल। सरकारी स्वास्थ्य योजना के बावजूद, कैंसर, मधुमेह आदि से पीड़ित लोगों का इलाज नहीं हो रहा है। इलाज मिलने पर भी काफी सारा पैसा पैसा अपनी जेब से खर्च करने के प्रोजेक्ट हैं। कई बार किसी व्यक्ति को ऑपरेशन जैसी स्थिति में चंदे का सहारा लेते हैं। लोगों का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर काम करना चाहिए।
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आइडियल रिलीफ कैंप: यहां कैंप में रहने वाली कई महिलाओं का काम शुरू हुआ। वे कपड़े, बैग आदि सिलती हैं। ऑर्डर भी मिला, यहां होने वाली थोड़ी सी कमाई से वे राहत की सांस ले रही हैं।
कार्रवाई: 11 गंभीर मामलों की जांच कर रही है सी.बी.आई
मुखर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच जारी है। पिछले साल मामले में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 लोगों ने 6,745 लोगों को सजा दी है।
विश्विद्यालय: कर्मचारी नहीं, सरकारी उद्यमों में काम करने वाले उपकरण
एक लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी काम पर नहीं लौट रहे हैं जिससे परिवहन, बिजली, पर्यावरण, वन और जलवायु और शिक्षा के क्षेत्र में भी काम हो रहा है और लोगों को परेशानी हो रही है।
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सीबीआई में दो महिलाओं को बंधक बनाने का मामला: सीबीआई का दावा- पुलिस ने ही महिलाओं को भीड़ के बीच से निकाला था
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वकीलों में पिछले साल हिंसा के बीच कुकी-जो समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके कुगाया गया था। मई में हुई यह सबसे पुरानी वीडियो जुलाई में सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस मामले में सी.बी.आई. ने अनपेक्षित प्रोफेसर की तलाश की है। अनफॉल्ट में दावा किया गया है कि महिला पुलिस अधिकारी कांगपोकपी जिले में 1000 मैतेई प्रदर्शकों के बीच क्षेत्र लेकर आए थे। पूरी खबर पढ़ें…