- हिंदी समाचार
- राय
- भास्कर राय भारतीय चुनाव प्रणाली शुरुआती चुनावों में निरक्षरता से जूझती रही
36 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
- कॉपी लिंक

मौसा जब नहीं था, इसकी पहली चुनाव प्रक्रिया कई दौर से शुरू हुई। पहले अलग-अलग नामों के लिए अलग-अलग मतपेटियाँ होती थीं। बाद में सभी नामांकितों के चुनाव चिन्ह के साथ एक ही चिन्ह बनाया गया। जब तक रह रहा है, निरक्षरता के दानव ने कई भगवानों को जन्म दिया।
पिछली सदी में लगभग पूर्वी एशियाइयों द्वारा अधिकांश लोगों को शिक्षित करने का प्रयास किया गया था, इसलिए नाकारा साबित हो गया क्योंकि हमारी सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक नीति और जीवन शैली अमीरों को और अधिक अमीर और गरीबों को और अधिक गरीब बना दिया गया।

ग़रीबों के लिए मुफ़्त शिक्षा की नीति के बावजूद शिक्षा पर हमारी सफलता का कामचलाऊ अगुआ नुक्सानदेह साबित हुआ। स्कूल तो खूब खुले लेकिन शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ। ग़रीबों के लिए शिक्षा मुफ़्त तो कर दीजिए लेकिन ग़रीबों तक यह संदेश नहीं पहुँचा। बाकी सामान के तो बुरे हाल रहे।
अमीरों ने खुद को काग़ज़ों पर अमीरों की साझी साड़ी पर चैट कर लीं। स्वदेशी अभियान भी एक तरह से ख़ाना रेस्तरां ही साबित हुआ। निरक्षरता के कारण चुनाव में अवैध गोलियों की संख्या कई टिकटों पर जीत के अंतर से भी अधिक रही।

किसी ने एक की जगह चार लोगों को वोट दिया। किसी ने मतपत्र पर अंगूठा लगा दिया। कई-लिखों ने भी कसार नहीं छोड़ा। भाई लोगों ने मतपत्रों पर नारा लिखा नीचे। कुछ उदाहरण देखें-
1989 के आम चुनाव में राजस्थान की सलूट सीटेम्बर से भाजपा के नंदलाल मीना ने कांग्रेस के भेरूलाल मीना को 878 के दशक में हराया जबकि आशिकों की संख्या 18,837 थी।
1980 में झालावाड़ संसदीय सीट पर जीत का अंतर 5,605 था जबकि पेटेंट मत 8,619 थे। वीडियो में बताया गया है कि 1998 में मध्य प्रदेश की पांच संसदीय सीटों पर जीत के अंतर से अवैध कारों की संख्या सबसे ज्यादा थी। हरत की बात ये है कि ये पांचों लोग एससी-एसटी के लिए सुरक्षित स्थान पर हैं। छत्तीसगढ़ टैब नहीं था.
रायगढ़ सुरक्षित सीट के प्रतिष्ठित चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार साय को 382 से हराया, जबकि आतंकियों की संख्या 19,475 थी। यही हाल सुपरमार्केट, सरगुजा, मंडला और सारंगगढ़ सुरक्षित यात्रा पर भी जा रहे थे।
अगर इसे शिक्षा से जोड़ा जाए तो आउटलुक निकाला जा सकता है कि एक लाख प्रयास के अलावा सामान्य सार्वजनिक शिक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। केवल गरीबों के लिए बजट अलाटमेंट कर दें से ही सरकारी अपनी ड्यूटी की इति श्री समझती रक्खें।
लोकसभा चुनाव 2024 दैनिक भास्कर के लिए ताजा खबरें, रैली, बयान, मुद्दा, साक्षात्कार और डीटेल अनायास ऐप डाउनलोड करें। 543 डिटेल, प्वॉइंट, वोट और ताजा जानकारी पर एक क्लिक करें।